इस्लामाबाद (पाकिस्तान): पठानकोट एयरबेस पे हुए हमले के बाद कुछ और हुआ हो या न हुआ हो, ऐसा लगता हो कि पाकिस्तान में भी एक तबका है जो अब आवाज उठा रहा है कि सरहद पार से दहशतगर्दों को सहायता करने का दौर अब ख़त्म होना चाहिए तभी जाकर भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध मधुर और शांतिपूर्ण हो सकते हैं और इस दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विकास और सहयोग की नई बयार बह सकती है ।
वाकया ये है कि पाकिस्तान संसद की एक समिति ने विदेश नीति पर एक श्वेत पत्र जारी किया है जिसमें पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया गया है उसे तत्काल कश्मीर में आतंकवादियों की मदद करना बंद कर देना चाहिए । समिति ने कहा है कि वैश्विक समुदाय में पाकिस्तान की ऐसी इमेज बन रही है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खात्मे को लेकर गंभीर नहीं है बल्कि यहाँ तक कि पाकिस्तान ही दरअसल कश्मीर में आतंकवाद के पीछे असली कारण है ।
चार पृष्ठों के इस श्वेत पत्र में समिति ने भारत-पाक सम्बन्ध, कश्मीर, नदी जल बंटवारा विवाद और आतंकवाद के मुद्दों को उठाया है । समिति की अध्यक्षता नवाज़ शरीफ की पार्टी पीएमएल-इन के मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट अवैस एहमद लेघरी हैं । समिति की मुख्य सिफारिशों में कश्मीर में आतंकवादियों को आर्थिक और हथियारों की सहायता देना तुरंत बंद कर देना चाहिए और कश्मीर मसले के हल के लिए मिस्क्रीएंट की इमेज बदल कर इस समस्या के सकारात्मक हल के लिए प्रयास करते हुए नजर आना चाहिए ।
फरवरी में होने वाली विदेश सचिव स्तरकी वार्ता से पहले आई इस रिपोर्ट को भारत-पाक संबंधों में एक मील का पत्थर माना जा सकता है अगर वास्तव में पाकिस्तान सरकार इस समिति की रिपोर्ट क गंभीरता से लेकर उस पर कार्रवाई करे ।
समिति ने चार बिन्दुओं पर विशेष काम करने की अनुशंषा की है जिससे भारत-पाक रिश्तों में गर्माहट आ सके :
- राजनयिक पहल का सकारात्मक जवाब देना,
2. आपसी भरोसे में कमी को खत्म करना,
3. रुकी हुई प्रक्रिया (वार्ता, व्यापार, आदि) को फिर शुरू करना
4. आपसी वार्ता का फोकस नतीजे की बुनियाद पर होना यानि रिजल्ट ओरिएंटेड एटीच्यूड रखना
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समिति ने इसके अलावा जल संधि, सांस्कृतिक साझा कार्यक्रम और संवाद के जरिये भारत-पाक सहयोग में प्रगति की संभावनाएं जाहिर की हैं ।