Apathit Gadyansh with Answers in Hindi unseen passage
जब मैं वैयक्तिक और सामाजिक व्यवहार में अपनी भाषा के प्रयोग पर बल देता हूं तब निश्चय ही मेरा तात्पर्य यह नहीं है कि व्यक्ति को दूसरी अथवा विदेशी भाषाएं सीखनी नहीं चाहिए. नहीं, आवश्यकता, अनुकूलता और शक्ति के अनुसार अनेक भाषाएं सीखनी चाहिए तथा उनमें से एकाधिक में विशेष दक्षता भी प्राप्त करनी चाहिए, द्वेष किसी भी भाषा से नहीं करना चाहिए; क्योंकि किसी भी प्रकार के ज्ञान की उपेक्षा करना उचित नहीं है; किंतु प्रधानता सदैव अपनी ही भाषा और अपने साहित्य को देना चाहिए. अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने देश का सच्चा विकास और कल्याण केवल अपनी भाषा के व्यवहार द्वारा ही संभव है. ध्यान रखिए – ज्ञान विज्ञान, धर्म राजनीति तथा लोक व्यवहार के लिए सदा लोक भाषा का प्रयोग ही अभीष्ट है. अपने देश, अपने समाज और अपनी भाषा की सेवा तथा वृद्धि करना सभी तरह से हमारा परम कर्तव्य है.
उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
- दिए गए गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए.
- अपनी भाषा के अतिरिक्त दूसरी भाषाएं क्यों सीखनी चाहिए?
- तुलनात्मक रूप में अपनी भाषा को महत्व क्यों दिया जाना चाहिए?
- दक्षता का एक पर्यायवाची शब्द लिखिए.
- अपने देश और संस्कृति का विकास किस प्रकार संभव है?
उत्तर –
- अपठित गद्यांश का शीर्षक – स्वभाषा का महत्व.
- दूसरी भाषाओं के ज्ञान को सीखने के लिए आवश्यकता, अनुकूलता, अवसर और शक्ति के अनुसार विविध भाषाएं सीखी चाहिए.
- विदेशी भाषा की तुलना में अपनी भाषा को महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि उसी से अपने देश, समाज और संस्कृति का कल्याण तथा विकास संभव है.
- कुशलता, प्रवीणता
- स्वभाषा के विकास से अपने देश और अपनी संस्कृति का विकास संभव है.
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