रानी पद्मावती की सच्ची कहानी देखने के लिए आप नीचे दिया गया विडियो भी देख सकते हैं या YouTube पर विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
14वीं शताब्दी के दौरान रानी पद्मावती सिंघल साम्राज्य (श्रीलंका) की राजकुमारी थीं जिनकी शादी चित्तौड़ के राजपूत महाराजा रतनसेन से हुई थी. महाराजा रतनसेन ने रानी पद्मावती को एक स्वयंवर में अपने दूसरी पत्नी के रूप में अर्जित किया था.
यह उस समय की बात है जब दिल्ली में अल्लाउद्दीन खिलजी का शासन हुआ करता था. अल्लाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी (खिलजी वंश के संस्थापक) को मारकर दिल्ली का सुलतान बना था.
इधर राणा रतनसेन के दरबार में राघव चेतन नाम का एक दुष्ट व्यक्ति रहता था. जिसकी दुष्टता का पता चलने पर राजा रतनसेन ने उसे राज्य से निकाल दिया.
क्रोधित हो कर राघव चेतन खिलजी के दरबार में गया और वहां अल्लाउद्दीन खिलजी के सामने रानी पद्मावती की सुन्दरता का खूब बखान किया.
बस फिर क्या था, राघव चेतन के शब्दों ने अल्लाउद्दीन खिलजी की लालसा बढ़ा दी. जिसके बाद खिलजी ने अपने सैनिकों को चित्तौड़ पर चढ़ाई करने का आदेश दे दिया.
अल्लाउद्दीन खिलजी की कपटी चाल
परन्तु चित्तौड़ पहुँचने पर उसे यह एहसास हुआ कि राणा रतनसेन से किले को आसानी से नहीं भेदा जा सकता है तब उसने राजा रतनसेन को यह सन्देश भिजवाया कि वह चित्तौड़ के राजा और रानी दोनों से मिलना चाहता है. पर रानी पद्मावती इसके लिए तैयार नहीं हुई.
राणा रतन सेन दिल्ली के सुलतान की नाराजगी नहीं मोलना चाहते थे इसलिए उन्होंने रानी को मनाया और अंततः रानी पद्मावती इस शर्त के साथ तैयार हुईं कि वो खिलजी से एक आईने के माध्यम से मिलेंगी.
फिर मुलाकात हुई और अल्लाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती की झलक शीशे में देखी और तभी से उनपर मंत्रमुग्ध हो गया. उसी समय राणा रतनसेन को बंदी बना लिया गया और महल में यह सन्देश भेजा गया कि यदि रानी पद्मावती को अल्लाउद्दीन खिलजी के साथ नहीं भेजा गया तो रतनसेन का सर काट कर चित्तौड़ के दुर्ग पर लटका दिया जाएगा.
रानी पद्मावती की अद्भुत योजना
रानी पद्मावती ने अपने दो योद्धाओं गोरा तथा उसके भतीजे बादल के साथ मिलकर राजा रतनसेन को छुड़ाने की एक योजना बनायीं. इस योजना के अनुसार पालकियों की एक बड़ी टोली तैयार की गयी.
यह कहा गया कि इन पालकियों में रानी पद्मावती की सखियाँ हैं जो रिवाज के अनुसार उनके साथ जाएंगी. जबकि असल में इनमे राजपूताना के सैनिक थे.
जब ये पालकियां खिलजी के गढ़ में पहुंचे तब इन पालकियों से कुल 700 राजपूत सैनिक गोरा और बादल के नेत्रित्व में बेहद वीरता से खिलजी की 70,000 सैनिकों वाली सेना से लडे और राजा रतन सिंह को छुड़ा ले गए.
क्रोधित खिलजी का चित्तौड़ पर आक्रमण
इस घटना से बेहद क्रोधित खिलजी ने अपनी पूरी सेना के साथ मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया.
इधर मेवाड़ साम्राज्य पहले ही राणा को छुडाने के दौरान अपने अधिकांश सैनिक खो चूका था. उस पर से खिलजी की सेना के भीषण आक्रमण ने मेवाड़ की हार लगभग सुनिश्चित कर दी थी.
पद्मावती संग मेवाड़ की स्त्रियों का ‘जौहर’
चित्तौड़ के सुनिश्चित हार को देखकर रानी पद्मावती ने एक बेहद कठोर निर्णय लिया. चित्तौड़ की महिलाओं के साथ रानी ने ‘जौहर’ का फैसला लिया.
एक दर्दनाक, असहनीय मौत जिसमें महिलाएं अग्नि में कूद कर खुद को भस्म कर लेती. रानी पद्मावती ने अंततः 16000 राजपूत महिलाओं के साथ अग्नि में कूद कर अपने प्राणों की आहूति दे दी और यह सुनिश्चित किया कि कोई आक्रान्ता मरने के बाद भी उनके शरीर को छू न पाए.
और इस तरह रानी पद्मावती इतिहास में अपने जौहर की वजह से हमेशा के लिए अमर हो गयीं. विडियो आप नीचे देख सकते हैं.
रानी पद्मावती और अल्लाउद्दीन खिलजी का सच – कौन सी कहानी सच्ची है?
क्या रानी पद्मावती एक सच थीं? क्या रानी पद्मावती और अल्लाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम सम्बन्ध थे? ऐसे बहुत से सवाल हम सभी के मन में हैं. परन्तु इतिहास उठा कर देखने पर बड़ा गड़बड़झाला नजर आता है.
रानी पद्मावती के जमाने में अमीर खुसरो की एक रचना खज़ा ’इनउल फुतूह’ आई है जिसमें एक युद्ध का जिक्र तो है पर रानी पद्मावती का कहीं कोई नाम नहीं.
इसके 237 साल बाद भी किसी रचनाकार ने रानी पद्मावती का कोई जिक्र नहीं किया. रानी पद्मावती की जीवनी का सबसे बड़ा सबूत मालिक मुहम्मद जायसी की रचना पद्मावत है जिसमें वो रानी पद्मावती को श्रीलंका के चौहान राजपूत शंक सिंह चौहान की बेटी बताते हैं परन्तु आज तक किसी इतिहासकार ने श्रीलंका में किसी राजपूत राजा के होने की पुष्टि नही की है.
वहीँ फ़रिश्ता नाम के इतिहासकार ने अपनी रचना गुलशन-ए-इब्राहिमी (1589) में इस पूरी कहानी को अलग ही ब्यान किया है. वो रानी पद्मावती को रतन सिंह की बेटी बताते हैं तथा किले पर आक्रमण की घटना भी अलग ही ढंग से प्रस्तुत करते हैं.
रानी पद्मावती की कहानियाँ अधिकतर देश की आजादी के समय घर घर में सुनाई जाती थी ताकि महिलाओं को भी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रोत्साहित किया जा सके. अब भगवान् जाने कि सच क्या है.
बाकी आप रानी पद्मावती पर आ रही फिल्म ‘पद्मावती’ देख कर अपने हिसाब से समझ ही लेना.
- अल्लाउद्दीन खिलजी का इतिहास
- ‘पद्मावती’ में रणवीर सिंह
- सिर्फ पद्मावती ही नहीं और भी किरदार हैं जिनका इतिहास से नहीं है सम्बन्ध