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होशियार लोमड़ी – शिक्षाप्रद कहानी

एक बार एक सिंह गंभीर रूप से बीमार हो गया। चूंकि वह जंगल के सभी जानवरों का राजा था, अतः जंगल के सभी जानवर झुंड बनाकर उसका हालचाल पूछने आए। केवल एक लोमड़ी नहीं आई। सिंह ने तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया, परंतु भेड़िये से यह बात छिपी नहीं रह सकी, जो उसका पुश्तैनी शत्रु था।

होशियार लोमड़ी - शिक्षाप्रद कहानी

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यह भेड़िये के लिए एक सुनहरा अवसर था। वह सिंह से बोला-”हे महाराज, आपकी प्रजा के दिल में आपके लिए इतना प्रेम है कि हर जानवर आपके स्वास्थ्य की कामना कर रहा है। किसी भी जानवर ने प्रातःकाल से कुछ भी नहीं खाया-पिया है।“ इतना कहकर भेड़िया रूका, इधर-उधर देखा और दोबारा कहने लगा- ”मगर लोमड़ी ही एक ऐसी है, जो कहीं नजर नहीं आ रही है।“

यह सुनकर सिंह बहुत क्रोधित हो गया। उसने लोमड़ी को बुलावा भेजा। एक घंटे के भीतर ही लोमड़ी को सिंह के दरबार में हाजिर कर दिया गया।

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”बदतमीज लोमड़ी!“ सिंह गुस्से से गरजा- ”अपनी गैरहाजिरी का कारण बयान करो।“

लोमड़ी ने भेड़िये को तिरछी नजरों और कुटिलता से मुस्कराते देख लिया था। वह सारी बात समझ गई और बिना एक क्षण की भी देरी किए बोली- ”मालिक, ऐसा नहीं है, मुझे आपकी बीमारी के बारे में पूरी सूचना है। मैं तो किसी ऐसे डाक्टर की तलाश कर रही हूं, जो आपको शीघ्र स्वस्थ कर दे और आपको दोबारा शक्तिशाली बना दे और मैं सचमुच एक ऐसे डाक्टर से मिल चुकी हूं, जिसने बताया है कि अगर आप शीघ्र स्वस्थ होना चाहते हैं, तो एक भेड़िया मारकर उसकी गरम खाल अपने शरीर पर लपेट लें।“

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यह सुनते ही सिंह भेड़िये की ओर मुड़ा जो उससे एक हाथ की दूरी पर ही खड़ा था। इसके पहले कि वह अपने जीवनदान के लिए सिंह से भीख मांगता, सिंह उस पर टूट पड़ा और उसे मार डाला।

निष्कर्ष- ईर्ष्या की आग स्वयं को जला देती है।

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