पटना: बिहार में सीवान जिले के चर्चित तेजाब हत्याकांड में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाए पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन सहित चार लोगों को पटना हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने फैसले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है.पटना हाईकोर्ट ने तेजाब हत्याकांड में द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा है। यानी शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सज़ा रहेगी बरकरार रहेगी, फिलहाल और आगे भी शहाबुद्दीन की मुसीबत जारी रहेगी,राहत की कोई उम्मीद नहीं है.
उल्लेखनीय है कि सीवान के बाहुबली राजद नेता एवं पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन इसी मामले में फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। शहाबुद्दीन को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए शहाबुद्दीन के वकील ने पटना हाईकोर्ट में अपील की थी. सीवान की एक अदालत ने इस मामले में 11 दिसंबर, 2015 को दो भाइयों की तेजाब डालकर हत्या कर देने के मामले में शहाबुद्दीन सहित चार लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. मामले के विचारण के दौरान वर्ष 2010-11 में अपहृतों के बड़े भाई राजीव रोशन ने बतौर चश्मदीद गवाह मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में कहा था कि उसकी आंखों के सामने उसके दोनों भाईयों की हत्या शहाबुद्दीन के आदेश पर प्रतापपुर गांव में कर दी गई थी.
गौरतलब है कि 16 अगस्त, 2004 को सीवान के व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का अपहरण किया गया था. गिरीश और सतीश की तेजाब डालकर हत्या कर दी गई थी, जबकि राजीव उनके चंगुल से भाग निकलने में कामयाब रहा था.इस मामले में गिरीश की मां कलावती देवी के बयान पर मामला दर्ज किया गया था. हत्याकांड के गवाह और मृतकों के भाई राजीव ने अदालत को बताया था कि वारदात के समय पूर्व सांसद शहाबुद्दीन खुद वहां उपस्थित था. बाद में राजीव की भी हत्या कर दी गई थी. शहाबुद्दीन इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.सिवान में शहाबुद्दीन की अपनी न्याय व्यवस्था थी. साहेब (शहाबुद्दीन को सिवान में इसी नाम से जाना जाता है) का फरमान जनता के लिए पत्थर की लकीर होती थी.वह अपना दरबार लगा ‘न्याय’ करता था. उनके आदमी भी पंचायत लगा ‘न्याय’ करने में पीछे नहीं रहते थे.