केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया गया है। सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर सिर्फ उसके रुख की ‘पुष्टि ‘ की है। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि निजता का अधिकार संपूर्ण नहीं है और इसपर तर्कसंगत पाबंदी लगाई जा सकती है।
कानूनी विशेषज्ञों ने फैसले का स्वागत किया
कानूनी विशेषज्ञों ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने के उच्चतम न्यायालय के अभूतपूर्व फैसले का स्वागत करते हुए इसे ‘प्रगतिशील’ करार दिया और कहा यह ‘मूलभूत अधिकार’ है। न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने हालांकि कहा कि पूरे फैसले और न्यायालय की ओर से दिए गए कारणों का पूरा अध्ययन करने के बाद ही यह आकलन किया जा सकेगा कि इस फैसले का आधार योजना पर क्या असर पड़ेगा।
यह एक प्रगतिशील निर्णय है:सोली सोराबजी
वरिष्ठ अधिवक्ता सोली सोराबजी ने नौ सदस्यों वाली पीठ की ओर से सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के ‘अच्छे दृष्टिकोण’ को दिखाता है जो कि अपने पहले के फैसले को पलटने में जरा भी नहीं हिचकिचाया। यह बेहद प्रगतिशील निर्णय है और लोगों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता है। निजता एक मौलिक अधिकार है जो कि प्रत्एक व्यक्ति में अंतरनिहित है।
भाजपा की विचारधारा को नकारा:राहुल गांधी
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को प्रत्येक भारतीय की जीत बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, उच्चतम न्यायालय के निर्णय से फासीवादी ताकतों पर करारा प्रहार हुआ है। निगरानी के जरिए दबाने की भाजपा की विचारधारा को मजबूती से नकारा गया है।
निरंकुश घुसपैठ एवं निगरानी पर प्रहार:सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह वैयक्तिक अधिकारों एवं मानवीय गरिमा के नए युग का संदेशवाहक है तथा आम आदमी के जीवन में राज्य एवं उसकी एजेंसियों द्वारा की जा रही निरंकुश घुसपैठ एवं निगरानी पर प्रहार है। कांग्रेस पार्टी एवं उसकी सरकारें तथा विपक्षी दल इस अधिकार के पक्ष तथा इनको सीमित करने के इस (भाजपा की) सरकार के ‘अहंकारपूर्ण रवैए’ के खिलाफ अदालत एवं संसद में आवाज उठा चुके हैं।