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म्यामां : मोदी बहादुर शाह जफर की मजार पर पहुंचे, कालीबाड़ी मंदिर में पूजा की

यंगून. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को म्यामां दौरे के अंतिम दिन भारत के अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर की मजार पर गए, 2,500 वर्ष पुराने श्वेदागोन पगोडा के दर्शन करने पहुंचे और उन्होंने यहां कालीबाड़ी मंदिर में पूजा अर्चना भी की.प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया , म्यांमा के सांस्कृतिक प्रतीक, श्वेदागोन पगोडा के दर्शन करके बहुत प्रसन्न हूं। 2,500 साल पुराने पगोडा में भगवान बुद्ध के केश और अन्य पवित्र अवशेष रखे हुए हैं.

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उर्दू शायर बहादुर शाह जफर की मौत 87 वर्ष की उम्र में रंगून में हुई थी. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश शासन ने उन्हें देश निकाला देकर रंगून भेज दिया था.यंगून में रॉयल लेक (शाही झील) के पश्चिम में स्थित पगोडा को म्यांमा के लोग सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल मानते हैं.गोडा सोने की सैकड़ों चादरों से ढका हुआ है, जबकि स्तूप के शीर्ष पर 4,531 हीरे जड़े हुए हैं. सबसे बड़ा हीरा 72 कैरेट का है।वह म्यांमा की स्टेट काउंसिलर आंग सान सू की के साथ बोग्योक आंग सान संग्रहालय भी गये.

मोदी ने कहा, बोग्योक आंग सान संग्रहालय दिखाने के लिए मैं मोहतरमा आंग सान सू की को धन्यवाद देता हूं. जनरल आंग सान को श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री आज भारत के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर भी गये और श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने मुगल शासक की कब्र पर अपनी मौजूदगी दिखाने वाली अपनी एक तस्वीर भी ट्वीट की.वह स्मारक मार्टेयर्स मॉसलियम भी गए, उन्होंने कालीबाड़ी मंदिर में पूजा की.

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मंदिर के साथ अपनी तस्वीर ट्वीटर पर साझा करते हुए उन्होंने लिखा,यंगून के कालीबाड़ी मंदिर में पूजा की. सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं. मोदी कल म्यांमा के प्राचीन शहर बागान में 12 वीं शताब्दी के प्रसिद्ध आनंद मंदिर को देखने गए थे. इस मंदिर का पुनरुद्धार भारत की सहायता से किया जा रहा है. यह मंदिर पिछले साल भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था.बौद्ध बहुलता वाले देश के तीन दिवसीय पहले द्विपक्षीय दौरे के अंतिम दिन मोदी पगोडा गए जिसे म्यामां की सांस्कृतिक विरासत की धुरी माना जाता है।उन्होंने साझा सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित करते हुए पगोडा परिसर में बोधि वृक्ष की पौध रोपी.

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