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नोटबंदी पर मनमोहन की भविष्यवाणी सही साबित हुई

जेटली ने कहा इससे नीचे नहीं जाएगी

 

नई दिल्ली. आखिर सरकार के दावों की जीडीपी के आंकड़ों ने पूरी तरह से पोल खोलकर रख दी है. लेकिन सरकार का कहना है कि नोटबंदी का इससे कोई लेना-देना नहीं है. अगर थोड़ा पीछे जाकर देखें, तो नोटबंदी लागू होने के बाद जब संसद में इस पर बहस हो रही थी तब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार को सावधान कहा था. लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट और जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 5.7% पर आ गयी है. ये मोदी सरकार के तीन साल का सबसे निचला स्तर है. इस तरह मनमोहन की चेतावनी सच साबित हो रही है.

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मोदी का सबसे कम जीडपी,आर्थिक वृद्धि दर चीन से पीछे

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर 5.7% पर आ गयी है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरी तिमाही है जबकि भारत की आथर्कि वृद्धि दर चीन से पीछे रही है. विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती के बीच नोटबंदी का असर कायम रहने से जीडीपी की वृद्धि दर कम रही है. चीन ने जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून तिमाहियों दोनों तिमाहियों में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इससे पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी. जीडीपी के आंकडों पर चिंता जताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अपने निचले स्तर तक पहुंच चुकी है. इसकी वजह माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन है. जीएसटी से पहले स्टॉक निकालने का काम लगभग पूरा हो चुका है. जीएसटी के परिचालन में आने के बाद जहां तक विनिर्माण का सवाल है यह अपने निचले स्तर तक पहुंच चुका है. यह इससे नीचे नहीं जाएगा.

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राज्यसभा में मनमोहन ने ये कहा था

नोटबंदी पर चर्चा के दौरान नंवबर 2016 में राज्यसभा में मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है. इससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है, वहीं जीडीपी में 2 फीसद की गिरावट आ सकती है. पूर्व पीएम ने सीधा वार करते हुए कहा था कि मैं पीएम मोदी से पूछना चाहता हूं कि वह किसी ऐसे देश का नाम बताएं, जहां लोगों ने बैंक में अपने पैसा जमा कराए हैं लेकिन वे उसे निकाल नहीं सकते.

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