स्टार भारत’ आज के ऐसे युवा की सच्ची भावनाओं को प्रस्तुत करता है जिनमें सब कुछ हांसिल करने का सामर्थ्य है – ’साम दाम दंड भेद’कभी कभी ऐसा भी होता है कि नियमानुसार खेलने से वाँछित परिणाम प्राप्त नहीं होते, लेकिन नियमों को तोड़ने पर जीत हाँसिल हो जाती है। जीत का कोई क़ायदा नहीं होता,बस एक ही क़ायदा होता है – किसी भी क़ीमत पर जीतना! हाल ही में लॉन्च हुए ’स्टार भारत’ ने अपने नए शो ’साम दाम दंड भेद’ के साथ इस वास्तविकता से परदा हटाने का प्रयास किया है। शाकुंतलम टेलीफिल्म्ज़ द्वारा निर्मित ’साम दाम दंड भेद’ एक युवक विजय नामधारी की ऐसी असाधारण कहानी है, जिसके पास कुछ नहीं है, लेकिन वह सब कुछ जीतने के लिए सामने आता है। एक युवा उत्साही व्यक्ति से वह राजनीतिक खेल के नेता के रूप में राख से फीनिक्स-पक्षी की तरह उभरकर सामने आता है।
भारत के एक काल्पनिक शहर की पृष्ठभूमि वाले ’साम दाम दंड भेद’ में काली वास्तविकता वाले एक दयालु आत्मा विजय नामधारी की कहानी प्रदर्शित की जाएगी। विजय आज के निर्भीक, लाज-रहित युवा जगत का बेहतरीन उदाहरण है, जिन्हें यह तक पता नहीं कि जिंदगी से वे क्या चाहते हैं? अपने परिवार की ख़ातिर वह वास्तविक राजनीति की दुनिया में प्रवेश करने का फैसला करता है। अपने मृत भाई का आवरण ओढ़कर वह थोड़े ही समय में देश का नेता बनकर अपने तरीक़ों में सुधार कर लेता है। शो के नाम को सार्थक करता विजय चार तरीक़ों, साम – हाथ पैर जोड़कर, दाम – पहली बार असफल होने पर काम करवाने के लिए रिश्वत का सहारा लेकर, दंड – डराकर तथा भेद – सज़ा देकर अपना काम पूरा करवा लेता है।
शो के बारे में निर्माता द्वय श्यामाशीष भट्टाचार्य और नीलिमा बाजपेयी ने बताया कि ’साम दाम दंड भेद’ की अवधारणा प्रत्येक भारतीय घर से मेल खाती है, जिसमें कोई भी किसी भी सीमा तक जा सकता है तथा अपने परिवार की ख़ुशी के लिए अपने जीवन के सुखों का त्याग कर सकता है। इस शो में यह भी कहा गया है कि हम सभी के अंदर शक्ति है, हमें केवल इसके बारे में जागरूक रहने की ज़रुरतहै। इस शो में एक ऐसे शोषित व्यक्ति की कहानी कही जाएगी जो एकदम नीचे से आया है और जिसके पास कुछ भी नहीं है। वह इतना पा लेता है, जिसके बारे में उसने सपने में भी नहीं सोचा था।
उन लोगों के लिए जीत आरक्षित है जो इसकी कीमत चुकाना चाहते हैं
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