दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार में अपनी पहले द्विपक्षीय दौरे के समापन के बाद शुक्रवार देर रात भारत लौट आए. अपनी तीन दिवसीय यात्रा में म्यांमार में उन्होंने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ विस्तृत वार्ता की और आतंकवाद से निपटने का संकल्प लिया। ख़ास तौर पर रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की समस्या पर विशेष बातचीत की.मोदी दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण के तहत म्यामां पहुंचे थे. इससे पहले वह चीन के श्यामन शहर में गए थे.वहां उन्होंने वार्षिक ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लिया था.
म्यांमार से लौटते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट किया, मेरे म्यामां दौरे में भारत-म्यामां संबंधों पर बेहद जरूरी प्रेरणा देने और द्विपक्षीय सहयोग को गहराने से जुड़ा अहम काम हुआ। मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, मैं म्यामां की जनता और सरकार का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने सुंदर देश म्यामां में मेरे दौरे के दौरान अदभुत मेहमान नवाजी की। म्यामां में मोदी की पहली द्विपक्षीय यात्रा एक ऐसे समय पर हुई है, जब नोबल पुरस्कार विजेता सू की के नेतृत्व वाली म्यामां सरकार 1.25 लाख रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रही है. म्यामां की सेना द्वारा राखिने राज्य में कार्रवाई किए जाने के बाद 1.25 लाख रोहिंग्या मुसलमान महज दो सप्ताह में बांग्लादेश में आ गए हैं.
सू की के साथ वार्ता के बाद मोदी ने कहा कि भारत राखिने राज्य में ‘चरमपंथी हिंसा’ को लेकर, खासतौर पर सुरक्षाकर्मियों और मासूम लोगों की मौत को लेकर म्यामां की चिंता में साझीदार है.उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों की जमीनी और समुद्री सीमा की सुरक्षा एवं स्थिरता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है.मोदी और सू के बीच बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच नौवहन सुरक्षा, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में और म्यामां में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने से जुड़े 11 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.