Talaq hone ki vajah (Shadi tootane ke karan)
भारतीय परंपरा में शादी को जन्म-जन्मांतर का बंधन माना गया है. पति-पत्नी पहले सैट जन्मों तक एक साथ रहने की कसमें कहते थे. लेकिन आज कल की शादियां कई बार तो कुछ महीनों के अंदर ही टूट रही हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?इसका मुख्य कारण है हमलोग अपनी प्राचीन परंपराओं का पालन नहीं कर रहे हैं।
एक तो पंडित जी समय अपनी एवं यजमान की सुविधानुसार निकालने लग गये हैं। वर – वधू का हित एवं अहित उनके लिए गौण हो गया है।
इसके विपरीत अगर सही समय निकाला भी गया तो वर -वधू सही समय पर पूजा में बैठते ही नहीं है। फिर वैसा समय निकलवाने का फायदा ही क्या?
इसीलिए आजकल दाम्पत्य जीवन में अशांति और समस्यायें उत्पन्न होकर कलह का कारण बनती हैं और अंतिम परिणाम तलाक होता है।
पहले बड़े बुजुर्गां की चलती थी तो समस्त कार्य विधि विधान पूर्वक नियत समय पर होते थे। जन्मपत्री मिलाते समय भी पंडित जी गुणों के अलावा दोनों के दाम्पत्य जीवन के भविष्य के विषय में गहराई से जांच नहीं करते हैं।
अपने पेशे एवं कर्तव्य के प्रति सच्ची निष्ठा रखने वाले पंडित जी आजकल बहुत कम नजर आते हैं, मुँह देखी बात करने वाले दक्षिणा के लोभी बाजारू पंडित ही ज्यादा मिलते हैं।
बिना परिवार वालों की अनुमति के जवानी के आवेश में किये गये अन्तर्जातीय असफल विवाह भी तलाक कारण बनते हैं।