चाँद ख़ुदकुशी करने निकला है 2015-09-202016-11-21simran kaur आज मैं कोई कविता नहीं लिखूंगा कोई कहानी नहीं सुनाऊंगा बस बैठ कर इन्तेजार करुंगा Advertisement तुम्हें पता ना हो शायद कि सायों [...]
हसरतों का कोई क्या करे 2015-09-062016-11-21simran kaur हसरतें हसरतों का कोई क्या करे ना पूछती हैं ना बताती हैं बस दरवाजे पर खडी हो कर चुपचाप मुस्कुराती हैं Advertisement अब [...]