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आब गया आदर गया, नैनन गया सनेह – Kabir Ke Dohe

Sant Kabir ke dohe in hindi with meaning

Sant Kabir ke Dohe, Kabir vani, Kabir Dohavali, Sant Kabir Dasआब गया आदर गया, नैनन गया सनेह।
यह तीनों तबही गये, जबहिं कहा कछु देह।।

Aab gaya aadar gaya, Nainan gaya saneh
Yah teenon tabhi gaye, Jabhin kaha kuch deh

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अर्थात (Meaning in Hindi): अपनी आन चली गई, मान सम्मान भी गया और आंखों से प्रेम की भावना चली गयी। ये तीनों तब चले गये जब कहा कि कुछ दे दो अर्थात आप जब कभी किसी से कुछ मांगोगे। अर्थात् भिक्षा मांगने अपनी दृष्टि से स्वयं को गिराना है अतः भिक्षा मांगने जैसा त्याज्य कार्य कदापि न करो।


कागा काको धन हरै, कोयल काको देत।
मीठा शब्द सुनाय के, जग अपनो करि लेत।।

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Kaaga kaako dhan harai, Koyal kaako daet
Meetha shabd sunaye ke, Jag apno kari laet

अर्थात (Meaning in Hindi): कौवा किसी का धन नहीं छीनता और न तो कोयल किसी को कुछ देती है किन्तु कोयल की मधुर बोली सबको प्रिय लगती है। उसी तरह आप भी कोयल के समान अपनी वाणी में मिठास का समावेश करके संसार को अपना बना लो।

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यह तन कांचा कुंभ है, लिया फिरै थे साथ।
टपका लागा फुटि गया, कछू न आया हाथ।।

Yah tan kancha kumbh hai, Liya firai the sath
Tapka laaga futi gaya, Kuch na aaya hath

अर्थात (Meaning in Hindi): यह शरीर मिट्टी के कच्चे घड़े के समान है जिसे हम अपने साथ लिये फिरते हैं और काल रूपी पत्थर का एक ही धक्का लगा, मिट्टी का शरीर रूपी घड़ा टूट गया। हाथ कुछ भी न लगा अर्थात् सारा अंहकार बह गया। खाली हाथ रह गये।

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काल पाय जग ऊपजो, काल पाय सब जाय।
काल पाय सब बिनसिहैं, काल काल कहं खाय।।

Kaal payai jag upjo, Kaal payai sab jayai
Kaal payai sab binsihain, kaal kaal kahan khayai

अर्थात (Meaning in Hindi): काल के क्रमानुसारा प्राणी की उत्पत्ति होती है और काल के अनुसार सब मिट जाते हैं। समय चक्र के अनुसार निश्चित रूप से नष्ट होना होगा क्योंकि काल से निर्मित वस्तु अन्ततः काल में ही विलीन हो जाते हैं।


करता था तो क्यौं रहा, अब करि क्यौं पछताय।
बोवै पेड़ बबूल का, आम कहां ते खाय।।

Karta tha to kyun raha, Ab kari kyun pachtaya
Bovai ped babool ka, Aam kahan te khayai

अर्थात (Meaning in Hindi): जब तू बुरे कार्यों को करता था, सन्तों के समझाने पर भी नहीं समझा तो अब क्यों पछता राह है। जब तूने कांटों वाले बबूल का पेड़ बोया तो बबूल ही उत्पन्न होगें आम कहां से खायेगा। अर्थात् जो प्राणी जैसा करता है, कर्म के अनुसार ही उसे फल मिलता है।

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