सन्धि और समास में अन्तर
सन्धि और समास का अन्तर इस प्रकार है-
(i) समास में दो पदों का योग होता है; किन्तु सन्धि में दो वर्णो का।
(ii) समास में पदों के प्रत्यय समाप्त कर दिये जाते है। सन्धि के लिए दो वर्णों के मेल और विकार की गुंजाइश रहती है, जबकि समास को इस मेल या विकार से कोई मतलब नहीं।
(iii) सन्धि के तोड़ने को ‘विच्छेद’ कहते है, जबकि समास का ‘विग्रह’ होता है।
जैसे- ‘पीताम्बर’ में दो पद है- ‘पीत’ और ‘अम्बर’। सन्धि विच्छेद होगा- पीत+अम्बर;
जबकि समासविग्रह होगा- पीत है जो अम्बर या पीत है जिसका अम्बर = पीताम्बर।
यहाँ ध्यान देने की बात है कि हिंदी में सन्धि केवल तत्सम पदों में होती है, जबकि समास संस्कृत तत्सम, हिन्दी, उर्दू हर प्रकार के पदों में। यही कारण है कि हिंदी पदों के समास में सन्धि आवश्यक नहीं है।
(iv) संधि में वर्णो के योग से वर्ण परिवर्तन भी होता है जबकि समास में ऐसा नहीं होता।