रतन टाटा का नाम भारत के महान उद्योगपतियों में बड़ी इज्जत के साथ शामिल किया जाता है. रतन टाटा का जीवन भारत की तरक्की के लिए समर्पित रहा है. उनके नेतृत्व में टाटा कंपनी भारत ही नहीं विश्व भर में एक बड़ी और विकासोन्मुख कंपनी के रूप में जानी जाने लगी है. आइये आपको रतन टाटा के प्रेरक विचारों से अवगत कराते हैं:
अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए।
अब से सौ साल बाद, मैं टाटा ग्रुप को जितना वो अब है उससे कहीं बड़ा देखना चाहता हूँ।
आगे बढ़ने के लिए जीवन में उतर-चढ़ाव बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि ह्रदय की ईसीजी में भी एक सीधी लाइन का मतलब होता है कि हम जिंदा नहीं हैं।
ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने के मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करूँगा। लेकिन मैं पीछे मुड़कर ये नहीं देखना चाहूँगा कि मैं क्या नहीं कर पाया।
किसी भी काम को तभी करो अगर वह सार्वजनिक होकर भी सही साबित हो सके, अगर ये ये सार्वजनिक जांच की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तो उसे मत करो।
जिस तरह लोहे को खुद उसी के जंग के सिवा कोई नष्ट नहीं कर सकता! उसी तरह इंसान को कोई और बर्बाद नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी सोच कर सकती है।
बिजनेस को अपनी कम्पनी के हितों से आगे बढ़कर समाज के उन तबकों तक जाना चाहिए जिसे वे सर्व करते हैं।
भारतीय लोकतंत्र में निर्णय भी देर से लिए जाते हैं और नतीजे भी देर से आते हैं।
मेरे पास दो या तीन कारें हैं जो मुझे पसंद हैं, लेकिन फेरारी सबसे अच्छी कार है जो मैंने चलाई है।
मैं उन लोगों की प्रशंसा करता हूँ जो सफल हैं। लेकिन अगर वो सफलता बहुत बेरहमी से हासिल की गयी है तो मैं उस व्यक्ति की प्रशंसा तो करता हूँ पर उसकी इज्ज़त नहीं कर सकता।
मैं कहूँगा कि एक चीज जो मैं अलग ढंग से करना चाहता हूँ, वो है और अधिक आउटगोइंग होना।
मैं चार बार शादी करने के बहुत करीब पहुँच गया था, और हर बार मैं किसी न किसी डर की वजह से पीछे हट गया। लेकिन अब जब मैं शादीशुदा लोगों को देखता हूँ तो सोचता हूँ कि मैंने कुछ बुरा नहीं किया।
मैं निश्चित रूप से राजनीति में नहीं शामिल होऊंगा। मैं एक साफ़-सुथरे बिजनेसमैन के तौर पर याद किया जाना पसंद करूँगा।
मैं भारत के भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित हूँ। ये एक महान क्षमता वाला महान देश है।
मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ।
लोग यदि आप पर पत्थर फेंक रहे हों तो उन पत्थरों से विशाल इमारत खड़ी कर दीजिये।
सत्ता और धन मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं।
हमें छोटे छोटे कदम लेना छोड़ कर बड़ा सोचना होगा। ये हमारी कंपनी की तरक्की के लिए सहायक होगा।