Rahim ke dohe पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन
छिमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उतपात - Rahim Ke Dohe
Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
Rahim ke dohe अब रहीम चुप करि रहउ, समुझि दिनन को फेर।
Rahim ke dohe दादुर, मोर, किसान मन, लग्यो रहै घन माहिं।