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Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।

Rahim ke dohe in Hindi:

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छांड़त छोह।।

Jat pare jal jaat bahi, taji meenan ko moh,
Rahiman machhari neer ko, tau na chhadat chhoh

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रहीम के दोहे का अर्थ:

पतंगा जानता है कि दीपषिखा का स्पर्श करते ही वह प्राण त्याग देगा, किंतु दीपषिखा के प्रबल मोह में वह अपनी जान की भी परवाह नहीं करता और उस पर न्योछावर हो जाता है। मोह से वशीभूत होने वाला जान देने में कभी नहीं हिचकिचाता।

इस तथ्य को मछली की मिसाल से सिद्ध करते हुए रहीम कहते हैं, जाल में मछलियां फंसते ही जब उसे उठाया जाता है, तो जल मछलियों का मोह त्यागकर बह जाता है। जल की यह निष्ठुरता देखने के बावजूद मछलियां जल का साथ नहीं छोड़तीं।

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Rahim ke dohe रहीम के 25 प्रसिद्ध दोहे अर्थ व्याख्या सहित

25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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