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क्यों जरूरी हे मंदिर में साष्टांग प्रणाम करना?

Mandir mein Sashtang Pranam kyon karna chahiye

सुख हो दुख हर पल भगवान का घ्यान करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो कि हमारे कई जन्मों के पापों को नष्ट कर देता है। आज कल की भागती दौड़ती जिंदगी में बहुत कम लोग हैं जिन्हें विधिव्रत भगवान की पूजा आराधना का समय मिल पाता है। ऐसे में भगवान की पूजा के लिए सभी मंदिर जाते हैं और केवल साथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं। जबकि भगवान के सामने साष्टांग प्रणाम करने पर आश्चर्यजनक शुभ फल प्राप्त होते हैं।
भगवान को साष्टांग प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। इस पंरपरा के पीछे विज्ञान भी है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। साष्टांग प्रणाम का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे हमारे शरीर का व्यायाम होता है। साष्टांग प्रणाम की बहुत ही सामान्य विधि है। इसके लिए भगवान के सामने आराम से बैठ जाएं और फिर धीरे धीरे पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों हाथों को सिर के आगे ले जाकर जोड़ कर नमस्कार करें। इस प्रणाम से हमारे सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने की यही विधि सबसे ज्यादा फायदेमंद है।
ऐसा माना जाता है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। भगवान के प्रति हमारे मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वतः ही खत्म होता है। जब भगवान के समक्ष हम तन और मन समर्पण कर देते हैं तो यह अवस्था निश्चित ही हमारे मन को असीम शांति प्रदान करती हैं। इसके अलावा इस प्रकार प्रणाम करने से हमारे जीवन की कई समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं।

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