माँ तुम धरा हो ,छु न सके कोई वो आसमाँ हो।
माँ तुम ममता से प्यार का जहाँ हों।
माँ तुम सबसे अलग करूणा की मूरत हो
देखी दुनियाँ माँ तुम बिन इन खुली आँखो से ,
पर भर आया पानी इन्हीं आँखो में
माँगत प्रतिमा आधी रोटी द़े जाये कोई पूरी रोटी
वही तो प्रतिमा की माँ
जो रातों को जागे सुबह बच्चो को सम्भाले वही तो है माँ।
माँ तुम धरा हो, छु न सके कोई वो आसमाँ हो।
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