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जीवन में खुश रहने के 10 सूत्र

आज का जीवन भाग-दौड़ और आपाधापी से भरपूर है। छोटी-छोटी जरूरतों और बड़े – बड़े कार्यों की योजना बनाते, फिर उन्हें पूरा करते ज़िन्दगी बीत जाती है। घर / परिवार / दोस्तों से दूर रहकर काम करना पड़ता है। जो हम जीवन में करना चाहते हैं उसे छोड़कर रोजी-रोटी के नाम पर या जिम्मेदारियों के बोझ तले कुछ और ही काम आजीविका के लिए करना पड़ता है।

ऐसे में एक दिन जब पलट कर देखते हैं तो लगता है सफल तो हो गए, कुछ बन तो गए दुनिया की नज़र में, लेकिन ख़ुशी हाथ नहीं आई या आई भी तो उतनी नहीं जितना सोचा था। यदि आपको भी ऐसा लगता है तो कुछ ख़ुशी और आनद पाने के तरीके हैं जिनसे आपके जीवन में बड़ा बदलाव लाकर आप भी संतोष और ख़ुशी पा सकते हैं।

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1. शिकायतें न करें, हँसते-मुस्कुराते रहें – हर समय तुनकने और शिकायतें करते रहनेवाले व्यक्ति को कौन पसंद करेगा? बच्चों से कुछ सीखिए. बच्चे दिन भर हँसते हैं, 400 बार लगभग, और शायद एक दो बार किसी चीज़ की शिकायत करते हैं।

2. पुराने रिश्तों और दोस्ती में जान डालिये – अपना फोन उठाइए और देखिए कि आपने अपने किन दोस्तों और रिश्तेदारों से बहुत समय से बात नहीं की है. उन्हें फोन लगाकर सरप्राइज़ दीजिए, आप दोनों ही बात करके बहुत अच्छा फ़ील करेंगे. पड़ोस में कोई नया शिफ्ट किया हो तो खुद से आगे बढ़कर उनका परिचय लीजिए, हो सकता है वे संकोच के कारण आप से मिलने जुलने में संकोच कर रहें हों।

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3. अपने समय का अधिक से अधिक हिस्सा परिवार को दें – पुराने दिनों में आप स्कूल से घर लोटते ही सबको पूरे दिन के किस्से सुनाने लगते थे न? उसी तरह शाम की चाय के दौरान या डिनर से समय उनसे बातें कीजिए. उनसे पूछिए कि उनका दिन कैसा बीता.

4. बिना मांगें लोगों की छोटी-छोटी मदद कीजिये – किसी को कोई मामूली चीज़ जैसे ‘पेंसिल’ या ‘रबर’ नहीं मिल रही हो तो अपनी देने में कोई नुकसान नहीं है. बहुत संभव है कि वे आपसी छोटी सी मदद को भी याद रखेंगे. वे पेपरवर्क या कंप्यूटर में कहीं अटक रहे हों तो उन्हें ज़रूरी सुझाव दें. यदि आर्थिक रूप से मदद करने का मामला हो तो उतनी ही रकम दें जितने का घाटा आप सहन कर सकते हों, हालांकि यह ज़रूरी नहीं कि सामनेवाला आपका उधार चुकता न ही करे.

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5. हमेशा आशा से भरपूर रहें, कुछ अच्छा होने ही वाला है, ऐसा माहौल बना कर रखें – मम्मी के डांटने पर बच्चे शाम को घर लौटने पर पापा से शिकायत करते हैं न! यह मत सोचिए कि जिस चीज को बुरा होना है वह बुरा होकर रहेगी. हमेशा याद रखिए कि सब कुछ खत्म हो जाने पर भी उम्मीद बची रहती है. सब लोग बुरे हैं और दुनिया बद से बदतर होती जा रही है, ऐसा सोचते रहने पर आपको अच्छी चीजें दिखना वाकई कम हो जाएंगी.

6. अचानक छुट्टी लीजिये और सपरिवार घूमने निकल पढ़िए – हर शहर के पास 50-100 किलोमीटर के दायरे में ऐसा बहुत कुछ होता है जिससे हम अनजान होते हैं. कभी-कभी बच्चों की गर्मियों की छुट्टी या पिकनिक जैसा वक्त बिताइए, जब किसी काम को करने की कोई फिक्र न हो.

7. दूसरों की गलतियों को भूलना सीखें – किसने आपके साथ किस दिन क्या किया… यह सब याद रखके आप उसका क्या बिगाड़ लेंगे? हर क्लास में वह बच्चा और हर ऑफिस में वह व्यक्ति लोगों का पसंदीदा होता है जो कोई बात अपने दिल में नहीं रखता और दूसरों की बातों को नज़रअंदाज़ करके उनसे हिलमिल कर रहता है. यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आपके करीबी लोगों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे भी इस गुण को अपना सकते हैं.

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8. अगले वर्ष के लिए कुछ नया लक्ष्य बनाइये, कुछ नया सीखिये – हर रोज़ एक नया लक्ष्य, बच्चों जैसा. यदि लेखक बनना चाहते हों तो एक नोटबुक रख रखकर उसमें अपने विचार नोट करने लगें. यदि फोटोग्राफी करते हों और बढ़िया कैमरा खरीदा हो तो तय कर लें कि रोज़ कम से कम एक फोटो ज़रूर खींचेंगे और नई टेक्नीक सीखेंगे. आपको जो करना पसंद हो, आप जो सीखना चाहते हों, उसके लिए अपना पर्सनल प्रोजेक्ट बनाइए और अपनी प्रगति को शेयर करते रहें, इससे आप एक तरह के पॉज़िटिव प्रेशर में रहेंगे और आलस नहीं करेंगे.

9. स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए व्यायाम कीजिये – यदि बहुत लंबे अरसे से एक्सरसाइज़ न की हो तो शुरुआत जल्दी उठने और पार्क के कुछ राउंड लगाने से करें. धीरे-धीरे अपनी सैर या दौड़-भाग का दायरा और समय बढ़ाते जाएं. ये गतिविधि आपको स्वस्थ भी रखेगी और नींद भी आएगी. यदि कोई शारीरिक तकलीफ़ या बीमारी आपको व्यायाम न करने दे रही हो तो एक ही स्थान पर किए जा सकने वाला योगाभ्यास या ध्यान करें.

10. काम को दफ्तर में छोड़ कर आइये – ऑफिस का काम घर पर मत लाइए क्यूंकि उसके साथ ऑफिस का तनाव भी घर तक आ जाता है। कामकाज के भीषण दबाव और टारगेट पूरा करने के तनाव के कारण कितने ही लोग बीमारियों और बुरे हालातों का शिकार हो रहे हैं.

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