इतना ही नहीं बल्कि हर सैनिक और उसके घोड़े की एक खास पहचान करवाई ताकि कोई किसी और सैनिक के नाम पर भ्रष्टाचार न कर पाए. टैक्स वसूलने वालों का एक ख़ास हुलिया होता है जिसे पहचान कर लोग टैक्स का पैसा उनको देते थे. ऐसे में कोई बहरूपिया सैनिक बन कर टैक्स नहीं वसूल कर सकता था.
वर्तमान में हम ऐसे कार्यों के लिए आइडेंटिटी कार्ड का प्रयोग करते हैं.
किसानों की कमाई बढ़ने के लिए खिलजी ने डायरेक्ट टैक्स लेना शुरू कर दिया. बिचौलियों वाले सिस्टम को हटा दिया गया. खेती की जमीन पर प्रति बिस्वा के हिसाब से 50 फ़ीसदी टैक्स वसूला जाने लगा. बिचौलियों और साहूकारों के दिन लद गए.
बिचौलियों की वजह से आज भी किसान एक बड़ी राशि से हाथ धो बैठते हैं.
जिनलोगों के पास घर थे उनसे घरी (हाउस टैक्स) लिया गया. जिनके पास पशु थे उनसे चरी लिया जाने लगा. तथा एक घर में अधिकतम 4 बैल 2 गाय, 2 भैंस, 12 बकरी तथा 1 भेंड रखने की आज्ञा थी.
वर्तमान में इसे हम लक्जरी टैक्स के रूप में देखते हैं.
अपने जमाने में खिलजी ने अपने विरोधियों पर नजर रखने के लिए जासूसी संगठन शुरू किया. जिसमें गुप्तचर अधिकारीयों को बरीद तथा गुप्तचरों को मुन्हीन कहा जाता था.
web title: Alauddin Khilji administration:Market Policy & Tax reforms that Khilji had