Ghar mein Mahabharat kyon nahin rakhni chahiye?
अधिकांश हिन्दू परिवारों में धर्मग्रंथ के नाम पर रामचरितमानस या फिर श्रीमद्भागवत पुराण ही मिलता है। महाभारत जिसे पांचवां वेद माना जाता है, इसे घरों में नहीं रखा जाता। बड़े बुजुर्गों से पूछें तो जवाब मिलता है कि महाभारत घर में रखने से घर का माहौल अशांत होता है, भार्इ्यों में झगड़े होते हैं। क्या वाकई ऐसा है? अगर वह मिथक है तो फिर हकीकत क्या है, क्यों रामायण को घर में स्थान दिया जाता है, लेकिन महाभारत को नहीं।
महाभारत की कहानी मुख्य रूप से भले ही चचेरे भाइयों के बीच युद्ध की कहानी हो लेकिन महाभारत की शिक्षाएं जीवन के अन्य बहुत से पहलुओं के लिए भी उपयोगी हैं। महाभारत युद्ध के पश्चात मृत्यु का इंतजार कर रहे भीष्म पितामह ने पांडवों को कुछ ऐसी शिक्षाएं प्रदान कीं, जो किसी भी इंसान को एक बेहतरीन नेता बना सकती हैं। इसके अलावा पांचों भाइयों की पत्नी होने के बावजूद द्रौपदी और पांडवों के बीच संयमित संबंध भी महाभारत का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा है।
लेकिन फिर भी राम और रावण के युद्ध की कहानी रामायण हर किसी के घर में मिलती है, यहां तक की नई-नवेली दुल्हन को भी उसके परिवारवाले रामायण देकर ही घर से विदा करते हैं परंतु महाभारत कोई भी अपने घर में नहीं रखता। क्या आप जानते हैं इसके पीछे कारण क्या है?
वास्तव में महाभारत रिश्तों का ग्रंथ है। पारिवारिक, सामाजिक और व्यक्गित रिश्तों का ग्रंथ। इस ग्रंथ में कई ऐसी बातें हैं जो सामान्य बुद्धि वाला इंसान नहीं समझ सकता। पाँच भाईयों के पाँच अलग अलग पिता से लेकर एक ही महिला के पांच पति तक। सारे रिश्ते इतने बारीक बुने गए हैं कि आम आदमी इसकी गंभीरता और पवित्रता नहीं समझ सकता।
वह इसे व्याभिचार मान लेता है और इसी से समाज में रिश्तों का पतन हो सकता है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने महाभारत को घर में रखने से मनाही की है, क्योंकि हर व्यक्ति इस ग्रंथ में बताए गए रिश्तों की पवित्रता को समझ नहीं सकता। इसके लिए गहन अध्ययन और फिर गंभीर चिंतन की आवश्यकता होती है, जिसका जनसाधारण में नितान्त अभाव है।
इसके अलावा मुख्य कारण यह है कि इसमें भाई-भाई, गुरू – शिष्य, चाचा – भतीजा आदि अपने पवित्र रिश्तों में आपस में कलह एवं युद्ध दिखाया गया है। रामायण में रिश्तों में मर्यादा का वर्णन है।