Kabir ke dohe जिहि घट प्रेम न प्रीति रस, पुनि रसना नहीं नाम संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi जिहि घट प्रेम न प्रीति रस, पुनि रसना नहीं नाम। ते नर या संसार [...]
Kabir ke dohe कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई । अंतरि भीगी आतमा, हरी भई [...]
Kabir ke dohe मैं मैं बड़ी बलाय है, सकै तो निकसी भागि संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi मैं मैं बड़ी बलाय है, सकै तो निकसी भागि। कब लग राखौं हे सखी, [...]
Kabir ke dohe यह तन काचा कुम्भ है,लिया फिरे था साथ संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi यह तन काचा कुम्भ है,लिया फिरे था साथ। ढबका लागा फूटिगा, कछू न आया [...]
Kabir ke dohe जाता है सो जाण दे, तेरी दसा न जाइ संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi जाता है सो जाण दे, तेरी दसा न जाइ। खेवटिया की नांव ज्यूं, घने [...]
Kabir ke dohe मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह। ए सबही अहला गया, जबहीं कह्या [...]
Kabir ke dohe कबीर प्रेम न चक्खिया,चक्खि न लिया साव संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi कबीर प्रेम न चक्खिया,चक्खि न लिया साव। सूने घर का पाहुना, ज्यूं आया त्यूं [...]
Kabir ke dohe इक दिन ऐसा होइगा, सब सूं पड़े बिछोह संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi इक दिन ऐसा होइगा, सब सूं पड़े बिछोह। राजा राणा छत्रपति, सावधान किन होय। [...]
Kabir ke dohe झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह। माटी गलि सैजल भई, पांहन बोही तेह। भावार्थ: [...]
Kabir ke dohe हरिया जांणे रूखड़ा, उस पाणी का नेह संत कबीर के दोहे 2020-05-182020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi हरिया जांणे रूखड़ा, उस पाणी का नेह। सूका काठ न जानई, कबहूँ बरसा मेंह। [...]