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Beti Bachao Beti padhao Essay in Hindi बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – २०० words – Beti Bachao Beti padhao Essay in Hindi for class 6/7/8

लड़कियों को बचाने और उन्हें पढ़ाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा २२ जनवरी २०१५ को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नाम से एक योजना हरियाणा के पानीपत में प्रारंभ की गई । इस योजना के शुभारम्भ के लिए हरियाणा इसलिए चुना गया क्योंकि पूरे देश में हरियाणा का लिंगानुपात १००० लड़कों पर मात्र ७७५ लड़कियों का था । यदि ऐसी ही स्थिति रही तो एक दिन चिराग लेकर लड़कियों की खोज करनी पड़ेगी।

लड़कों की चाह के दीवाने यह नहीं जानते कि आखिर उन्हें जन्म देने वाली भी तो एक महिला ही है । यहाँ तक कि जागरूकता के अभाव में अथवा परिवार के दबाव में कई बार महिलाओं को गर्भ में कन्या का भ्रूण जानकर बच्चियों को गर्भ में ही मार डालना पड़ता है।

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beti bachao beti padhao essay in hindi

लड़कियों को पढ़ा-लिखा कर उन्हें जागरूक करना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है । जब महिलाएं स्वयं पढ़ी-लिखी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तो वे खुद को और अन्य किसी महिला को बोझ नहीं समझेंगी तथा अपने निर्णय लेने में समर्थ होंगी ।

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इस योजना के द्वारा जाँच केन्द्रों, हस्पताल में भी नकेल कसी गई है कि यदि कोई जाँच केंद्र अथवा हस्पताल भ्रूण की जाँच करता है तो उसको इसका भारी दण्ड भुगतना पड़ेगा । यहाँ तक कि उसका लाइसेंस भी रद्द कर दिया जायेगा ।

इस योजना के सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं और जिन राज्यों में महिला पुरुष के अनुपात में काफी अंतर था वह भी घटने लगा है।

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – 3०० words – Beti Bachao Beti padhao Essay in Hindi for class 9/10

हिन्दू धर्म में दुर्गा को विशेष रूप से पूजा जाता है और हमारे शास्त्रों में भी वर्णन है कि जहाँ नारियों की पूजा होती है, देवता भी वहीँ निवास करते हैं । भारत भूमि में कई महान महिलाओं ने अपनी प्रतिभा से इतिहास में अपना नाम अंकित भी किया है। झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, अहिल्या बाई, भिकाजी कामा और भी कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने भारत का नाम रौशन किया है। वैदिक काल में भी कई महान महिलाएं हुई हैं । विश्ववारा लोप, इन्द्राणी, देवयानी जैसी कई महिलायें हुई हैं जिन्होंने वेदों की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । परन्तु, समय के साथ-साथ लोगों की सोच भी बदलती गई और महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जाने लगा। कई लोगों ने गर्भ में पल रहे शिशु को सिर्फ इसलिए मार दिया क्योंकि वे लड़की थीं।

इस प्रकार से लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिए जाने पर महिला और पुरुषों की संख्या में बहुत अंतर आने लगा । इसी अंतर को कम करने के लिए सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाने की आवश्यकता महसूस हुई और जनवरी २०१५ को इस अभियान का शुभारम्भ किया गया । महिलाओं की संख्या में वृद्धि ही नहीं बल्कि उनके खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकना भी इस अभियान के उद्देश्यों में सम्मिलित है। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध तभी रोके जा सकते हैं जब महिलाओं को पढ़ने का अधिकार भी दिया जाये। क्योंकि जब वे पढ़ेंगी तो जागरूक होंगी और अपना भला-बुरा पहचान पाएंगी और अपने हित के लिए आवाज़ उठा पायेंगी ।

अत: महिला के साक्षर होने पर वह मात्र अपना हित ही नहीं बल्कि जिस घर, स्थान पर रहती है वहाँ रह रहे सभी लोगों के विकास में सीधा सहयोग देती है। एक पुत्री के रूप में वह अपने घर में पूरा सहयोग करती है, एक पत्नी के रूप में भी वह अपने पति अथवा घर को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए तैयार रहती है और एक माँ के रूप में अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर और चरित्रवान बना कर देश के विकास में सहयोग देती है ।

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – 5०० words – Beti Bachao Beti padhao Essay in Hindi for class 11/12

प्रस्तावना

स्त्रियों को कम आँकना, उन्हें कम दर्जा देना, घर की चारदीवारी तक सीमित रखना पुराने समय से ही चला आ रहा है। महिलाओं को उनके अधिकार ना देकर उनके साथ हर कार्य में भेदभाव करना जैसे समाज के लिए आम बात है। कितनी ही होनहार लडकियाँ बहुत कुछ करना चाहती हैं लेकिन पुरुष प्रधान समाज उन्हें हमेशा आगे बढ़ने से रोकता आया है। समाज को लगता है की लड़कियों ज्यादा पढ़-लिख कर क्या करेंगी ? उनका तो चूल्हा-चौका संभालना, बच्चों की परवरिश करना और परिवार का ध्यान रखना ही है । उन्हें कौन सा बाहर निकल कर काम करना है, इसलिए इन्हें क्यों पढ़ाया जाय? यहाँ तक कि लड़कियों को बोझ समझ कर उन्हें गर्भ में ही मार दिया जाता है। लेकिन कुछ लोगों में इस विषय में सुधार आया है। कुछ महिलाएं भी आगे आई हैं। लेकिन, महिलाओं को अभी भी पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं हुए हैं, जिनकी वे हकदार हैं।

किसी भी देश के विकास के लिए मानवीय संसाधन के रूप में महिला और पुरुष दोनों ही महत्त्व रखते हैं। किन्तु पुरुष प्रधान देश में लोग ऐसा नहीं मानते । हाँलाकि यह स्थिति मात्र भारत देश की ही नहीं है, विदेशों में भी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है । समान कार्य के लिए महिलाओं को पुरुषों के अपेक्षा कम वेतन दिया जाता है। इन सब का एक बड़ा कारण अशिक्षा भी है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान

इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है जिसका नाम है “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”। इस अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा २२ जनवरी २०१५ को पानीपत, हरियाणा में की गई थी। यह स्थान चुनने का एक महत्वपूर्ण कारण था यहाँ लिंग अनुपात में बहुत अधिक अंतर । इस अभियान के सुचारू क्रियान्वन के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे किसी भी स्तर पर इस अभियान में कोई कमी ना रह पाए ।

कन्या शिशु-दर, जो कि लगातार घटती जा रही है, को संतुलित करना एवं उनकी शिक्षा पर जोर देना इस अभियान का उद्देश्य है। इस योजना के तहत यदि कोई भी व्यक्ति और संस्थान भ्रूण लिंग परिक्षण अथवा भ्रूण हत्या का दोषी पाया गया तो उसके ऊपर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी । अब हर जाँच केंद्र और हस्पताल में साफ़-साफ़ लिखा होता है कि भ्रूण के लिंग की जाँच कराना कानूनी अपराध है ।

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उपसंहार

इस अभियान का काफी सकारात्मक असर पड़ा है और लोग लड़कियों को उनके अधिकार देने लगे हैं । यदि लडकियाँ पढ़ी-लिखी होंगी और आत्मनिर्भर होंगी तो कोई उन्हें बोझ भी नहीं समझेगा । अत: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के माध्यम से कन्या मृत्यु दर में कमी लाना और उन्हें शिक्षा का अधिकार देने के लिए सरकार प्रयासरत है । जिसमें लड़कियों को शिक्षा के लिए कई सुविधाएं भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है । यदि लडकियाँ पढ़ी-लिखी होंगी तो उनमें अपना भला-बुरा समझने की समझ विकसित होगी । वे मात्र अपना और अपने माता-पिता के लिए ही नहीं अपितु जिस घर में विवाह पश्चात् जाएँगी वहाँ के लिए भी गर्व का पात्र बनेंगी । अत: लड़कियों का शिक्षित होकर आत्मनिर्भर होना उतना ही आवश्यक है जितना लड़कों का। फिर, ऐसे देश को कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता।

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