दिल्ली और देश की राजनीति में लगता है कि फिर से हड़कम्प आने वाला है। खबरें गरम हैं कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद छोड़ सकते हैं। केजरीवाल की जगह मनीष सिसोदिया दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। अटपटे कदम उठाने के लिए मशहूर अरविन्द केजरीवाल यह कर भी सकते हैं लेकिन ऐसा करने के पीछे की असली वजह क्या है, आइये आपको बताते हैं।
एक अंग्रेजी अखबार के हवाले से खबर मिली है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव पर फोकस करने के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ने का मन बना लिया है। उनकी जगह मनीष सिसोदिया दिल्ली के मुख्य मंत्रिपद की शपथ ले सकते हैं।
हालांकि इस खबर के आने के बाद आम आदमी पार्टी ने तत्काल इस खबर का खंडन करते हुए कहा है कि अरविंद केजरीवाल का दिल्ली मुख्यमंत्री पद छोड़ने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है। पंजाब में आम आदमी पार्टी पूरी मेहनत कर रही है और उसके वहां के स्थानीय नेताओं के दम पर ही जीतने की संभावना अत्यंत प्रबल है।
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि पंजाब की जनता भाजपा-अकाली सरकार के काले कारनामों को जान चुकी है। वहीँ कांग्रेस को तो देश की जनता ने पहले ही नकार दिया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी में ही पंजाब की जनता को आशा की किरण नजर आ रही है और अगले चुनाव में आम आदमी पार्टी का पंजाब में जीतना तय है।
गौरतलब है कि पंजाब में 2017 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होंगे। आम आदमी पार्टी के अंदर बहुत से लोगों का मानना है कि अगर राज्य में केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी चुनाव लड़ती है, तो उसके पास सत्ता हासिल करने का बेहतरीन मौका है। इस तरह से दिल्ली से बाहर भी लोकप्रिय राजनेता के रूप में स्थापित होने का अरविन्द केजरीवाल के पास सुनहरा अवसर है और इस तरह से वह अगले लोकसभा चुनाव में एक राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में अपनी छवि मजबूत कर सकते हैं।
गौर करने लायक बात है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास कोई पोर्टफोलियो नहीं है और वे देश के एकमात्र मुख्यमंत्री है जिसके पास कोई बर्थ नहीं है। सभी प्रमुख विभाग, जिनमें वित्त, शिक्षा, योजना और शहरी विकास जैसे विभाग उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पंजाब में अरविंद केजरीवाल के लिए विधानसभा क्षेत्र की तलाश भी शुरू हो गई है। अरविंद केजरीवाल अगले साल 14 जनवरी को पंजाब में चुनाव से पहले पहली रैली को संबोधित करेंगे।
आम आदमी पार्टी के अंदर यह एक राय बनती नजर आ रही है कि बिहार में बीजेपी की हार के बाद आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब चुनाव जीतने का सुनहरा मौका हाथ लगा है । केजरीवाल का मानना है कि नरेंद्र मोदी की लहर खामोश हो गई है और पंजाब में आम आदमी पार्टी का बेहतरीन प्रदर्शन उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में एंटी बीजेपी और एंटी कांग्रेस लीडर के रूप में खड़ा कर सकता है। इससे उनके विरोधियों के इस आरोप का भी जवाब दिया जा सकेग कि दिल्ली के बाहर अरविन्द केजरीवाल की कोई जमीन नहीं है।
अरविंद केजरीवाल ने अपने इस प्लान से नीतीश कुमार और ममता बनर्जी को भी अवगत कराया है और दोनों नेताओं ने केजरीवाल को सलाह दी है कि उन्हें पंजाब चुनाव में हाथ आजमाना चाहिए। आम आदमी पार्टी के एक नेता का कहना है कि निर्णय चाहे जो हो अगर पार्टी पंजाब में हारती है तो केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर दोबारा विराजमान होंगे। दिल्ली के अलावा आम आदमी पार्टी के पास पंजाब में एक बेहतर आधार है। पार्टी के चारों सांसद पंजाब से हैं और स्थानीय नेताओं का मानना है कि पंजाब में अकाली दल के खिलाफ जबरदस्त लहर है।
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इस तरह देखा जाये तो नए साल 2016 में आम आदमी पार्टी की पंजाब को लेकर क्या गतिविधियाँ और क्या रणनीति बनती है, देखना दिलचस्प रहेगा।
आपको क्या लगता है, क्या अरविन्द केजरीवाल पंजाब में आम आदमी पार्टी के मुख्य मंत्री बन पाएंगे? या उन पर यह मुहावरा चरितार्थ होगा कि आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे !