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अपठित गद्यांश – पुस्तकें सच्ची मित्र होती हैं

Apathit Gadyansh with Answers in Hindi unseen passage

पुस्तकें सच्ची मित्र होती हैं. अब तक मैं यही समझता था. परंतु उस दिन मेरी यह धारणा भी टूट गई. मैंने एक ऐसी पुस्तक पढ़ी जिसमें घृणा और द्वेष भरा हुआ था. लेखक महोदय किसी विशेष विचारधारा से बंधे हुए जान पड़ते थे, जैसे जंजीरों में झगड़ा हुआ कैदी दांत पीस पीस कर हर अपने जाने वाले को गाली ही देता है उसी प्रकार लेखक महोदय को अपने समाज में सारे लोग शोषक जान पड़ते थे. लेखक को यदि कोई कार में सवारी करता सोचा, वह नफरत के योग्य लगा, जो मंदिर में जाता हुआ मिला वह मूर्ख लगा, जो संस्कारों की बातें करता, वह ढोंगी जान पड़ा. जो संस्कृति और मर्यादा की बात करता , वह शोषक  प्रतीत हुआ. उसकी नजरों में सच्चा इंसान वही है जो व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाए. चाहे व्यवस्था उसे सभी सुविधाएं दे रही हो फिर भी उसमें कमियां निकाले. अपने मालिक को, रोजगार देने वालों को अत्याचारी समझे. उसके विरुद्ध समय-समय पर संघर्ष की आवाज उठाता रहे, हड़ताल और तालाबंदी करता रहे, नारे लगाता रहे, झंडा उठाता रहे. ऐसा लगता है कि लेखक के जीवन का लक्ष्य भी मात्र यही था – निरंतर संघर्ष. सच कहूं तो ऐसी पुस्तक पढ़कर मैं शांत नहीं रह पाया. मेरे मन में खलबली मच गई और अशांति की प्राप्ति हुई.

उपर्युक्त अपठित गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

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  1. अपठित गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए.
  2. पुस्तकों के बारे में पाठक की धारणा क्यों टूट गई?
  3. लेखक के जीवन का लक्ष्य क्या मालूम पड़ता था?
  4. पुस्तक पढ़कर पाठक के मन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  5. लेखक की नजरों में सच्चा इंसान कौन है?

उत्तर –

  1. अपठित गद्यांश का शीर्षक – मन की कुंठा
  2. पुस्तकों के बारे में पाठक की धारणा इसलिए टूटी क्योंकि उसने घृणा, द्वेष और अशांति के विचारों से भरपूर पुस्तक का अध्ययन कर लिया था.
  3. लेखक के जीवन का लक्ष्य था – निरंतर संघर्ष
  4. पुस्तक पढ़कर लेखक का ह्रदय हलचल और अशांति से भर गया
  5. लेखक की नजरों में सच्चा इंसान है जो व्यवस्था के विरुद्ध लगातार लड़ता रहे.

कक्षा 12 एवं 11 के लिए अपठित गद्यांश के 50 उदाहरण

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