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अपठित गद्यांश – परोपकार ही सच्ची मानवता है

Apathit Gadyansh with Answers in Hindi unseen passage 

स्वार्थ और परमार्थ मानव की दो प्रवृत्तियां हैं| हम अधिकतर कार्य अपने लिए करते हैं | ‘पर’ केलिए सर्वस्व बलिदान करना ही सच्ची मानवता है | यही धर्म है, यही पुण्य है | इसे ही परोपकार कहते हैं | प्रकृति हमें निरंतर परोपकार का संदेश देती है | नदी दूसरों के लिए बहती है| वृक्ष जीवों को छाया तथा फल देने के लिए ही धूप,आंधी, बर्षा और तूफानों में अपना सबकुछ बलिदान कर देते हैं|

उपर्युक्त अपठित गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न (अ) सच्ची मानवता क्या है ?
प्रश्न (ब) मानव की कितनी प्रवृत्तियां होती हैं ?
प्रश्न (स) पुण्य क्या है ?
प्रश्न (द) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए |
प्रश्न (इ) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए |

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उत्तर-

प्रश्न (अ) का उत्तर – दूसरों के लिए सर्वस्व बलिदान करना ही सच्ची मानवता है |
प्रश्न (ब) का उत्तर – मानव की दो प्रवृत्तियां है – स्वार्थ और परमार्थ|
प्रश्न (स) का उत्तर – परोपकार के लिए सर्वस्व बलिदान करना ही पुण्य है
प्रश्न (द) का उत्तर – परोपकार ही सच्ची मानवता है
प्रश्न (इ) का उत्तर – स्वार्थ और परमार्थ मानव की दो प्रवृतियाँ है किन्तु परमार्थ श्रेष्ठ है, यही सच्चा धर्म और पुण्य है | प्रकृति के उपादान नदी ,वृक्ष आदि भी अपना सर्वस्व बलिदान कर ‘पर’ हित में निरत होने का सन्देश देते हैं |

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