सन 1298 में खिलजी ने उलगु खान तथा नुसरत खान को गुजरात पर विजय पाने के लिए भेजा. गुजरात में राजा कर्ण को पराजित कर उनकी पत्नी कमला देवी के साथ आलौद्दीन खिलजी का विवाह हुआ.
Advertisement
वहीं नुसरत खान ने मलिक काफूर नाम के एक गुलाम को 1000 दीनार में खरीदा और यही मालिक काफूर आगे चल कर खिलजी के करीबी सिपहसालार बने. दक्षिण भारत के राज्यों को जीने में काफूर का अहम् योगदान था.
गुजरात के बाद खिलजी के सैनिकों ने जैसलमेर, रणथम्भौर, चित्तौड़, मालवा, जालौर तथा दक्षिण भारत में देवगिरी, तेलंगाना एवं होयसल तक साम्राज्य का विस्तार किया.
इन राज्यों को जीतने पर खिलजी को आपार धन संपत्ति मिली तथा खिलजी साम्राज्य का अभूतपूर्व विस्तार भी हुआ.
अल्लाउद्दीन खिलजी की मृत्यु
अपने अंतिम दिनों में खिलजी बीमार रहने लगा. उसे अपने अफसरों पर भी भरोसा नहीं था जिस कारण उसे हमेशा तख्तापलट का डर लगा रहता था. राज्शाक्तियों को उसने अपने बेटों तथा गुलाम मलिक काफूर के हाथ में केन्द्रीयकृत करना शुरू कर दिया. हालाँकि काफूर के साथ अल्लाउद्दीन खिलजी के रिश्ते भी विवादित रहे हैं.
Advertisement
4 जनवरी 1316 को अल्लाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गयी जिसके बाद मलिक काफूर ने उसके बेटे शिहाबुद्दीन खान को सुलतान घोषित किया हालाँकि इसके कुछ ही दिनों के बाद बड़े बेटे मुबारक खान ने सत्ता हथिया ली तथा काफूर की हत्या कर दी गयी.
अल्लाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में मदपान, भांग खाना तथा जुआ खेलना पूरी तरह प्रतिबंधित था.
अमीरों के आपस में मेलजोल तथा अमीर घरानों की आपस में शादी पर रोक थी ताकि ये घराने आपस में मिल कर संगठित विरोध न खड़ा कर पाएं.
खिलजी ने अपने जमाने में एक बेहतरीन टैक्स सिस्टम की शुरुआत की जिसमें बेहद प्रभावी तरीके से लोगों से टैक्स वसूला गया. उसके टैक्स सिस्टम को 19वीं तथा 20वीं शताब्दी तक शासकों ने अपनाया.
अल्लाउद्दीन ने उस जमाने में अपनी एक गुप्तचर विभाग की स्थापना की जिसमें गुप्तचर अधिकारीयों को बरीद तथा गुप्तचरों को मुन्हीन कहा जाता था.
गुजरात विजय के दौरान उसने मलिक काफूर नाम के एक गुलाम को 1000 दीनार में खरीदा. यही मलिक काफूर आगे चल कर खिलजी के सबसे करीबी सिपहसालार बने. दक्षिण भारत को जीतने में काफूर ने अहम् भूमिका निभाई. खिलजी और काफूर के रिश्ते भी इतिहासकारों के बीच काफी विवादास्पद रहे हैं
खिलजी एक शक्तिशाली शासक था. उसने दिल्ली राज के दौरान उसने मंगोलों के आक्रमण को परस्त किया. शक्तिशाली मंगोलों के आक्रमण को बार बार निरस्त करना खिलजी के शक्तिशाली शासन को दर्शाता है.
खिलजी को विश्व विजय तथा एक नए धर्म की स्थापना करने का भी विचार आया था जिसे उसने अपने मित्र के समझाने पर त्याग दिया.
खिलजी एक सुन्नी मुस्लिम तो था परन्तु अपने शासन में उलेमाओं को हस्तक्षेप करने नहीं दिया. इस्लाम से सिद्धांतों को न मान कर उसने राज्यहित को सर्वोपरि रखने की बात दोहराई जिससे उसके साम्राज्य का विस्तार तेजी से हो.