Akhir Kya Tha Duryodhana Ki Mrityu Ka Asli Karan?
विवाह पूर्व ही गांधारी यह जान गई थी कि उसका विवाह एक दृष्टिहीन राजा धृतराष्ट्र से होने वाला है, उसने अपने पति की इस कमी को स्वयं अपने जीवन पर भी ढाल लिया और स्वयं अपनी आंखों पर भी पट्टी बांधकर अंधकार की परत चढ़ा दी।
ना जाने कितने वर्षों तक गांधारी ने दृष्टिहीन व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत किया। लेकिन शायद अपने पति के प्रति इसी कठोर समर्पण और निष्काम भाव की वजह से गांधारी की आंखों में एक ऐसी शक्ति प्रवेश कर गई जो वाकई अद्भुत थी।
गांधारी की आंखों की इस शक्ति का दुर्योधन की मृत्यु से बेहद गहरा संबंध है। गांधारी की दृष्टि में एक ऐसी शक्ति थी जिसकी वजह से उसके पुत्र दुर्योधन का देह वज्र के समान कठोर हो गया था, लेकिन गांधारी की यही दृष्टि उसकी मृत्यु का भी कारण बनी, आइए जानते हैं कैसे!!
महाभारत का युद्ध प्रारंभ होने ही वाला था, गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन से कहा कि वे गंगा में स्नान कर नग्नावस्था में ही उसके सामने उपस्थित हो जाए।
अपनी माता की आज्ञा पाते ही दुर्योधन गंगा में स्नान करने के लिए चल पड़ा। स्नान करने के पश्चात दुर्योधन नग्न अवस्था में अपनी माता से मिलने चल पड़ा।
मार्ग में ही दुर्योधन की मुलाकात श्रीकृष्ण से हुई। श्रीकृष्ण दुर्योधन को पूर्ण नग्नावस्था में देखकर चौंक गए, उन्होंने दुर्योधन से कहा “तुम्हें लज्जा नहीं आती, ऐसी हालत में तुम महल की ओर कैसे जा सकते हो, आखिर मामला क्या है?
इससे पहले कि दुर्योधन कुछ कह पाता श्रीकृष्ण बोल पड़े “दुर्योधन पहले तुम बालक थे, किसी भी रूप में अपनी माता के सामने जा सकते थे, लेकिन अब तुम बड़े हो गए हो, माता गांधारी के समक्ष ऐसे जाना अनुचित है”।
दुर्योधन को श्रीकृष्ण की बात सही लगी, उसने अपने कमर के निचले हिस्से को पत्तों से ढक लिया और फिर गांधारी के समक्ष उपस्थित हुआ। जैसे ही गांधारी से अपने नेत्र खोले, उनकी दृष्टि दुर्योधन के नग्न शरीर पर पड़ी जिसकी वजह से उसका शरीर वज्र के समान कठोर हो गया।
परंतु अफसोस, श्रीकृष्ण के बहकावे में आकर दुर्योधन ने अपनी जांघों का हिस्सा ढक लिया था जिसकी वजह से गांधारी की दृष्टि उस भाग पर नहीं पड़ सकी और उसका पूरा शरीर कठोर नहीं हो सका।
परिणामस्वरूप, महाभारत के युद्ध के दौरान भीम द्वारा दुर्योधन की जंघा के भाग पर वार करने से ही दुर्योधन की मृत्यु हुई। जब दुर्योधन ने भरी सभा में द्रौपदी का अपमान किया था, तब भीम ने यह प्रण लिया था कि वह उसकी जांघ पर वार कर उसका वध करेगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि इतने वर्षों तक आंखों पर पट्टी बांधने वाली गांधारी की दृष्टि में इतनी शक्ति कैसे आ गई कि उसके देखने भर से दुर्योधन का शरीर वज्र के समान कठोर हो गया।
गांधारी का पतिधर्म बहुत मजबूत था, एक समर्पित स्त्री होने के साथ-साथ वह भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। द्रौपदी के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे एक वरदान दिया था कि वह अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर जिस किसी को भी देखेगी उसका शरीर वज्र के समान हो जाएगा।
गांधारी, किसी भी रूप में अपने पुत्र दुर्योधन को मृत नहीं देखना चाहती थी, इसलिए उसने दुर्योधन को अपने समक्ष नग्नावस्था में आने को कहा।
लेकिन कृष्ण की बातों में आकर दुर्योधन अपने गुप्तांगों और जांघों को ढककर चला गया, जिसकी वजह से उसके शरीर का यह भाग कमजोर रह गया और परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हुई।