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Samvad Lekhan माँ-पिता और बच्चों के बीच संस्कारों को लेकर संवाद – संवाद लेखन

 

Maa-pita aur bachhon ke beech sanskaron ko lekar samvad- Samvad Lekhan

नकुल : माँ आपको पता है कल शर्मा अंकल क्या कह रहे थे ?

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माँ : हाँ बेटा, क्या कह रहे थे ?

नकुल : वह बोल रहे थे कि तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं ।

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पिता : हाँ, एक दिन शर्मा जी मुझे भी कह रहे थे कि आपके दोनों बच्चे पड़ोस के किसी भी बड़े को देखकर एकदम चरण स्पर्श करते हैं । यदि, जरुरत पड़े तो एकदम सहायता करने को तत्पर रहते हैं ।

माँ : देखा बच्चों, यदि संस्कार अच्छे हों तो वे आपको मान ही दिलाते हैं ।

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पिता : क्यों नहीं । हमें भी बचपन से यही सिखाया गया है कि कोई भी बड़ा व्यक्ति हो तो उसे सादर प्रणाम करो । बड़े-बुजुर्गों के साथ आदर के साथ बात करो । यदि उन्हें सहायता की जरूरत हो तो उनकी सहायता करो ।

नकुल : जी पिताजी । एक दिन पांडे आंटी सब्जी का भारी थैला लेकर आ रहीं थीं और जैसे ही मैंने देखा, मैंने वह सब्जी का थैला उनके घर तक पहुंचा दिया । उन्होंने मुझे बहुत आशीर्वाद दिया ।

बेटा : बेटा, सुबह जल्दी उठ कर बड़ों को प्रणाम करना, समय पर पढ़ाई करना, घर के कार्यों में हाथ बंटाना, अपने काम दूसरों पर ना छोड़ना, ये जो छोटी-छोटी बातें बचपन से सिखाई जाती हैं बस यही संस्कार हैं । यही आपको जीवन में सफल भी बनाते हैं ।

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