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पूजा से मनचाहा फल पाने के लिए नियम

Puja se manchaha fal pane ke niyam

पूजा जो सब करते हैं परन्तु यदि इन नियमों को ध्यान में रखा जाये तो उसी पूजा का हम अत्यधिक फल प्राप्त कर सकते हैं। वे नियम कुछ इस प्रकार है।
Puja se manchaha fal pane ke niyam o सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव एवं विष्णु ये पांच देव कहलाते हैं। इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए। इससे धन, लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है।
o गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
o दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए।
o सूर्य देव को शंख के जल से अध्र्य नहीं देना चाहिए।
o तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए। जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं, उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं।
o रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्याकाल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।
o दूर्वा रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए।
o केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए।
o कमल का फूल पाँच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।
o बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ सकते हैं।
o तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।
o हाथों में रखकर हाथों से फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
o तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए।
o दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए तो दीपक जलाते हैं वो रोगी होते हैं।
o पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए।
o प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा आवश्य चढ़ानी चाहिए। दक्षिणा में अपने दोष, दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, आवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी।
o चर्मपात्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए।
o स्त्रियों और शूद्रों को शंख नहीं बजाना चाहिए यदि वे बजाते हैं तो लक्ष्मी वहां से चली जाती है।
o देवी देवताओं को पूजन दिन में पाँच बार करना चाहिए। सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रहम बेला में पूजन और आरती होनी चाहिए।
o आरती करने वालों को प्रथम चरणों की चार बार, नाभि की दो बार और मुख की एक बार और समस्त अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए।
o पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके करनी चाहिए, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें।
o पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए, पूजा गृह में सुबह एवं शाम को दीपक, एक घी का और तेल का रखें।
o पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएँ करें।
o पूजाघर में मूर्तियां 1, 3, 5, 7, 11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वतीजी, लक्ष्मी जी की मूर्तियां घर में नहीं होनी चाहिए।
o मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें । मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है। अपने पूज्य माता पिता तथा पितरों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें, उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें।
o मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।
o घर में झाडू लांघना, झाडू कभी खड़ा करके न रखें पाँव से कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है। दो झाडू को भी एक ही स्थान में न रखें इससे शत्रु बढ़ते हैं।
o घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें, क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मी जी घर का निरीक्षण करती हैं।
o कर्पूर का एक छोटा से टुकड़ा घर में नित्य आवश्य जलाना चाहिए, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो, वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े।
o घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ हावी नहीं होती हैं।
o रोज पीपल वृक्ष के स्पर्श से शरीर में रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है।
o साबूत धनिया, हल्दी की पांच गांठें तथा साबूत नमक एक थैली में रखकर तिजोरी में रखने से बरकत होती है। श्री व समृद्धि बढ़ती है ।
o दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है, उससे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता हैं वहां मंगल ही मंगल होते हैं। पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिए।
o घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहां धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। पतला घोल बनाकर आम पत्र अथवा पान के पत्ते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिए।
o एक मोती शंख, पांच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर एवं ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में श्री की वृद्धि होगी।
o आचमन करके झूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोछें। इस भाग में अत्यंत महत्वपूर्ण कोशिकाएं होती हैं।
o घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व पर सिर पर टोपी, पगड़ी या रूमाल रखना चाहिए। सफेद रूमाल कभी भी न रखें।

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