Kisi ki mrityu ho jaye to kya Karen?
संसार का प्रत्येक प्राणी जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, यह चक्र सदा से चलता आया है और चलता रहेगा। मृत्यु के समय की हिन्दु धर्म में अनेक परंपराएँ हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मृत्यु के समय कौन से नियम हैं, जिन्हें हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार निभाना जरूरी माना गया है। ये रिवाज कुछ इस तरह हैं-
o मृतक का सिर दक्षिण में तथा पैर उत्तर दिशा को ओर हो इस बात का ध्यान रखें।
o उसके मुख में गंगाजल डालें और तुलसीदल रखें।
o तुलसीदल के गुच्छे से मृत व्यक्ति के कानों और नासिकाओं को बंद करें।
o परिवार का विधिकर्ता पुरूष अपना सिर मुड़वाए।
o मृत्यु उपरांत कुछ समय के लिए जीव के सूक्ष्म देह परिजनों के आस पास ही घूमती रहती है। उससे प्रक्षेपित रज तम तरंगें परिजनों के केश के काले रंग की ओर आकर्षित होती हैं।
o गोमूत्र अथवा तीर्थ जल छिड़ककर, यदि संभव हो तो धूप दिखाकर, शुद्ध किए गए नए वस्त्र मृत व्यक्ति को पहनाएं।
o घर में गेहूं के आटे का गोला बनाकर उस पर मिट्टी का दीप जलाएं।
o दीपक की ज्योति दक्षिण दिशा की ओर हो।