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Rahim ke dohe रहिमन जो तुम कहत थे, संगति ही गुन होय।

Rahim ke dohe in Hindi:

रहिमन जो तुम कहत थे, संगति ही गुन होय।
बीच उखारी रमसरा, रस काहे ना होय।।

Rahiman jot um kahat the, sangati hi gun hoy
Beech ukhari ramsaraa, ras kahe n ahoy

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रहीम के दोहे का अर्थ:

रहीम ने अपने पदों में सुसंगत की अधिकतर सराहना की है। उनका यही विचार है कि व्यक्ति के जीवन पर संगत का व्यापक प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति जैसी संगति में वास करता है, वैसा ही उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है। अच्छी संगति का असर अच्छा होता है और बुरी संगति का बुरा। किंतु इस पद में रहीम ने अपने इसी विचार का प्रतिवाद किया है।

रहीम स्वयं से कहते हैं, तुम तो कहते थे कि जो जैसी संगति में होगा, वह वैसा ही गुण ग्रहण करेगा, किंतु यह अंतिम सत्य नहीं है। यदि ऐसा होता तो ईख के खेत में उगने वाले सरकंडे में भी रस जरूर होता। उस पर ईख की संगति का प्रभाव क्यों नहीं पड़ता।

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Rahim ke dohe रहीम के 25 प्रसिद्ध दोहे अर्थ व्याख्या सहित

25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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