Advertisement

NCERT Solutions Class 12 Bhaktin Mahadevi Verma Chapter 11 Hindi Aroh

Bhaktin Mahadevi Verma (भक्तिन महादेवी वर्मा) NCERT Solutions Class 12

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

पाठ के साथ

Advertisement

प्रश्न 1:
भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी2 भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया होगा?
उत्तर – भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था जिसका अर्थ है धन की देवी। लेकिन लक्ष्मी के पास धन बिलकुल नहीं था। वह बहुत गरीब थी। इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाती थी। उसे यह नाम उसके घरवालों ने दिया होगा। भारतीय समाज में लड़की का पैदा होना वास्तव में लक्ष्मी का घर आना माना जाता है। इसलिए उसके जन्म लेने पर उसका यह नाम रख दिया।

प्रश्न 2:
दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भी भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर  यह धारणा चलती है की स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत है ?
उत्तर – दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भी भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा की शिकार बनी। भक्तिन की सास ने तीन पुत्रों को जन्म दिया तथा जिठानियाँ भी पुत्रों को जन्म देकर सास की बराबरी कर रही थीं। ऐसी स्थिति में भक्तिन द्वारा सिर्फ़ कन्याओं के जन्म देने से वे उसकी उपेक्षा करने लगीं। यह सही है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। भक्तिन को उसके पति से अलग करने के लिए अनेक षड्यंत्र भी सास व जिठानियों ने किए। एक नारी दूसरी नारी के सुख को देखकर कभी खुश नहीं होती। पुत्र न होना, संतान न होना, दहेज आदि सभी मामलों में नारी ही समस्या को गंभीर बनाती है। वे ताने देकर समस्याग्रस्त महिला का जीना हराम कर देती हैं। दूसरी तरफ पुरुष को भी गलत कार्य के लिए उकसाती है। नवविवाहिता को दहेज के लिए प्रताड़ित करने वाली भी स्त्रियाँ ही होती हैं।

Advertisement

प्रश्न 3:
भक्तिन की बेटी पर पंचायत दवारा ज़बरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं ,बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) की स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक हैं। कैसे? 

अथवा

Advertisement

भक्तिन की बेटी पर पंचायत दवारा ज़बरन पति थोपा जाना स्त्री के के मानवाधिकार को कुचलने की परंपरा का प्रतिक है। ।’ इस कथन पर तक्रसम्मत टिप्पणी कीजिए?
उत्तर – नारी पर अनादिकाल से हर फैसला थोपा जाता रहा है। विवाह के बारे में वह निर्णय नहीं ले सकती। माता-पिता जिसे चाहे वही उसका पति बन जाता है। लड़की की इच्छा इसमें बिलकुल शामिल नहीं होता। लड़की यदि मान जाती है, तो ठीक वरना उसकी शादी जबरदस्ती करवा दी जाती है। उसे इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि वह किससे विवाह करे या किससे न करे। उसके इस मानवाधिकार को तो माता-पिता सदियों से कुचलते रहे हैं।

प्रश्न 4:
भक्तिन अच्छी है ,यह कहना कठीन होगा ,क्योंकि उसमें दुर्गुणों का आभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर – भक्तिन में सेवा-भाव है, वह कर्तव्यपरायणा है, परंतु इसके बावजूद उसमें अनेक दुर्गुण भी हैं। लेखिका उसे अच्छा कहने में कठिनाई महसूस करती है। लेखिका को भक्तिन के निम्नलिखित कार्य दुर्गुण लगते हैं –

  1. वह लेखिका के इधर-उधर पड़े पैसे-रुपये भंडार-घर की मटकी में छिपा देती है। जब उससे इस कार्य के लिएपूछा जाता है तो वह स्वयं को सही ठहराने के लिए अनेक तरह के तर्क देती है।
  2. वह लेखिका को प्रसन्न रखने के लिए बात को इधर-उधर घुमाकर बताती है। वह इसे झूठ नहीं मानती।
  3. शास्त्र की बातों को भी वह अपनी सुविधानुसार सुलझा लेती है। वह किसी भी तर्क को नहीं मानती।
  4. वह दूसरों को अपने अनुसार ढालना चाहती है, परंतु स्वयं में कोई परिवर्तन नहीं करती।
  5. पढ़ाई-लिखाई में उसकी कोई रुचि नहीं है।

प्रश्न 5:
भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया हैं?
उत्तर – जब लेखिका चोरी हुए पैसों के बारे में लछमिन से पूछती है तो वह कहती है कि पैसे मैंने सँभालकर रख लिए हैं। क्या अपने ही घर में पैसे सँभालकर रखना चोरी है। वह कहती है कि चोरी और झूठ तो धर्मराज युधिष्ठिर में भी होगा। नहीं तो वे श्रीकृष्ण को कैसे खुश रख सकते थे और संसार (अपने राज्य को कैसे) चला सकते थे। चोरी करने की घटनाओं और महाराज युधिष्ठिर के उदाहरणों के माध्यम से लेखिका ने शास्त्र प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का वर्णन किया है।

Advertisement

प्रश्न 6:
भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं? 

अथवा

भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती हो गई, कैस? सोदाहरण लिखिए।
उत्तर – भक्तिन देहाती महिला थी। शहर में आकर उसने स्वयं में कोई परिवर्तन नहीं किया। ऊपर से वह दूसरों को भी अपने अनुसार बना लेना चाहती है, पर अपने मामले में उसे किसी प्रकार का हस्तक्षेप पसंद नहीं था। उसने लेखिका का मीठा खाना बिल्कुल बंद कर दिया। उसने गाढ़ी दाल व मोटी रोटी खिलाकर लेखिका की स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर कर दी। अब लेखिका को रात को मकई का दलिया, सवेरे मट्ठा, तिल लगाकर बाजरे के बनाए हुए ठंडे पुए, ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे-हरे दानों की खिचड़ी व सफेद महुए की लपसी मिलने लगी। इन सबको वह स्वाद से खाने लगी। इसके अतिरिक्त उसने महादेवी को देहाती भाषा भी सिखा दी। इस प्रकार महादेवी भी देहाती बन गई।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1:
‘आलो आँधारि’ की नायिका और लिखिका बेबी हलदान और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते है ?
उत्तर – बेबी हालदार का जीवन भी संघर्षशील रहा है। वह भी भक्तिने की तरह लोगों के घरों में काम करती है। लोगों के चौका बर्तन साफ़ कर अपना पेट पालती है। यही स्थिति भक्तिन की है। यद्यपि उसके पास सबकुछ था लेकिन जेठ-जेठानियों और दामाद ने उसे कंगाल बना दिया। वह काम की तलाश में शहर आ गई। बेबी हालदार और भक्तिन दोनों ही शोषण का शिकार रहीं।

प्रश्न 2:
भक्तिन की बेटी के मामले में जिम तरह का फ़ैसलापंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है।अखबयों या टी०वी० समाचारों में आने वार्ता किसी ऐसी ही  घटना की भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस परचर्चा करें?
उत्तर – भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का केसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है । अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है । अखबारों या सी०ची० पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति–पत्नी को भाई–बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं । वे उन्हें सजा भी देती हैं । कईं बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है । यह मध्ययुगीन बर्बरता आज भी विदूयमान है।

Advertisement

प्रश्न 3:
पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं हैं, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं।बाल–विवाह और उप्र के अनर्मलपन वाले विवाह की अपने उम–पास हरे सारे घटनाओं पर लेस्ली‘ के साथ परिचर्चा करें।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं परिचर्चा करें।

प्रश्न 4:
महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता बसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़ें। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित हैं।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं पढ़ें।

भाषा की बात

Advertisement

 

प्रश्न 1:
नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए –

  1. पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले।
  2. खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी।
  3. अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूति।

उत्तर –

  1. इसका अर्थ है कि भक्तिन (लछमिन) ने एक कन्या को जन्म देने के बाद दो कन्याएँ और पैदा कीं। अब वह तीन कन्याओं की माँ बन चुकी थी। कन्या के संस्करण से आशय है कि उसी कन्या जैसी दो और कन्याएँ पैदा हुईं।
  2. खोटा सिक्का कमियों से भरपूर होता है। उसमें बहुत कमियाँ होती हैं। पत्नी भी यदि खोटे सिक्कों की टकसाल हो तो वह कमियों की खान हैं अर्थात् उसमें बहुत से अवगुण हैं।
  3. अस्पष्ट पुनरावृत्तियों से आशय है कि कि वही बातें बार-बार हो रही हैं जो पहले (अतीत) में होती रही हैं। स्पष्ट सहानुभूति से आशय है कि लोगों का दूसरों (अन्य लोगों) के प्रति झूठ-मूठ की सहानुभूति जताना अर्थात् संवेदनाहीन सहानुभूति प्रदर्शित करना। केवल औपचारिकता निभाने के लिए मेल-जोल रखना।

प्रश्न 2:
‘बहनोई’ शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई हैं। पुलिंलग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती हैं, पर स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुलिंलग प्रत्यय जोड़कर पुलिंलग शब्द बनाने की घटना प्राय: अन्य भाषाओं में दिखाई नहीं पड़ती। यहाँ पुलिंलग प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुलिंलग प्रत्ययों की हिंदी तथा और भाषाओं में खोज करें।
उत्तर – इसी प्रकार का शब्द है-ननदोई = ननद + ओई।

प्रश्न 3:
पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।

  1. ई कउन बड़ी बात आय ।रोटी बनार्वे जानित हैं, दाल राँध लड़त हैं, साग-भाजी छउक सकित हैं, अउरका रहा ।
  2. हमारे मालकिन तो रात-दिन कितबियन मांगाड़ी रहती हैं ।अब हमहूँ पढॅ लाराब तो घर-गिरिस्ति कउन देखी -सुनी ।
  3. ऊ विवरिअउ तो रात-दिन काम माँ झुकी रहती हँ, अउर तुम पचै घूमती–फिरती हाँ, चलों तनिक हाथ बटायलेऊ।
  4. तब ऊ कुच्छों करिहैं- धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
  5. हुम पली का का बताई यहै पचास बरिस से साथ रहित हैं।
  6. हुम कुकुरीविलारी न होयं, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहि‘ त तुम्हार पचै की छाती पै  होरहा भूँजब और करब ,समुझे रहो।  

उत्तर

  1. यह कौन – सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ। दाल राँधना (पकाना) जानती हूँ। साग-सब्जी छौंक सकती हूँ। इतने काम कर लेती हूँ तो और बाकी क्या रहा।
  2. हमारी मालकिन (अर्थात् महादेवी) तो दिन रात किताबों में गड़ी रहती हैं अर्थात् किताबें पढ़ती रहती हैं। यदि अब मैं भी पढ़ने लगी तो घर गृहस्थी कौन देखेगा।
  3. वह बेचारी तो रात दिन काम में झुकी (डूबी) रहती है और तुम इधर-उधर घूमती रहती हो। चलो थोड़ा-सा काम में हाथ बटा लो।
  4. तब वह कुछ भी करेगी – धरेगी नहीं। केवल गली-गली में गाती-बजाती फिरेगी अर्थात् बेकार में ही गलियों में घूमती रहेगी।
  5. तुम्हें लिखा – पढ़ी के बारे में क्या बताएँ। यह तो पचास वर्ष से मेरे साथ रहती है।
  6. हम कोई कुतिया या बिल्ली नहीं है। हमारे मन आया है तो यहीं रहेगी किसी दूसरे मर्द के घर नहीं जाएगी। हम तो तुम्हारी छाती पर बैठकर दलिया बनाएगी और राज करेंगी समझे।

प्रश्न 4:
भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही ये प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्ध में कहाँ तक सहायक हैं?
प्रश्न:

  1. अरे! उससे सावधान रहना वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता हैं उसे हैंग करदेता हैं।
  2. घबरा मत! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फाउल मारा तो रेड कार्ड दिखाके हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूँगा ।
  3. जानी टेंसन नई लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता हैं अपुन उसका हेडमास्टर हैं।

उत्तर

  1. इस वाक्य में कंप्यूटर की तकनीकी भाषा का प्रयोग है। यहाँ ‘वायरस’ का अर्थ है-दोष, ‘सिस्टम’ का अर्थहै-व्यवस्था, प्रणाली, ‘हैंग’ का अर्थ है-ठहराव।
  2. इस वाक्य में खेल से संबंधित शब्दावली का प्रयोग है। इसमें ‘इनस्वींगर’ का अर्थ है-गहराई तक भेदने वाली कार्रवाई, ‘फाउल’ का अर्थ है—गलत काम, ‘रेड कार्ड’ का अर्थ है—बाहर जाने का संकेत तथा ‘पवेलियन’ का अर्थ है-वापस भेजना।
  3. इस वाक्य में मुंबई भाषा का प्रयोग है। ‘जानी’ शब्द का अर्थ है-कोई भी व्यक्ति, ‘टेंसन लेना’ का अर्थ है-परवाह करना, ‘स्कूल में पढ़ना’ का अर्थ है-काम करना तथा ‘हेडमास्टर होना’ का अर्थ है-कार्य में निपुण होना।

हिंदी आरोह के सभी पाठों का हल – Chapter wise

 
Loader Loading…
EAD Logo Taking too long?

Reload Reload document
| Open Open in new tab

Download

Advertisement

Leave a Reply