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महाबलेश्वर सैल को ‘सरस्वती सम्मान’


नई दिल्ली.संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य लेखन के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान अगले हफ्ते यहां कोंकणी साहित्यकार महाबलेश्वर सैल को दिया जाएगा.के के बिरला फाउंडेशन की ओर से बताया कि वर्ष 2016 का ‘सरस्वती सम्मान’ आगामी 30 अगस्त को यहां राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा सैल को उनके उपन्यास ‘होथन’ के लिए दिया जाएगा.यह उपन्यास वर्ष 2009 में प्रकाशित हुआ था.उनका यह उपन्यास ‘हाउटन’ गोवा में तेजी से विलुप्त हो रहे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार समुदाय की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित है.

इस सम्मान के तहत 15 लाख रूपये की पुरस्कार राशि, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिन्ह दिया जाता है.कर्नाटक के कारवाड़ स्थित शेजेबाग में चार अगस्त, 1943 को जन्मे सैल ने कोंकणी और मराठी में अनके रचनाएं लिखी हैं। 74 वर्षीय लेखक ने चार मराठी नाटक और सात कोंकणी उपन्यास लिखे हैं. इसके अलावा उन्होंने मराठी भाषा में पांच लघु कथाएं और एक उपन्यास भी लिखा है.

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मराठी में उनके चार नाटक और एक उपन्यास जबकि कोंकणी में पांच लघुकथा संकलन और सात उपन्यास प्रकाशित हुए हैं.दिलचस्प है कि सैल एक सैनिक रह चुके हैं और 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वह पंजाब की हुसैनवाला सीमा पर तैनात थे.सैल 1965 के भारत-पाक युद्ध में शामिल हुए थे . 1963-64 में, वह इजराइल-मिस्र की सीमा पर शांति रक्षक के रूप में भी तैनात रहे हैं. सैल को उनके लघु कथा संकलन ‘तरंगन’ के लिए वर्ष 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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