नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत लद्दाख के 3 दिवसीय दौरे से पर थे और वहां से लौटने के बाद जो महत्वपूर्ण बयान दिया है उसमें उन्होंने चीन से होशियार रहने के संकेत दिए हैं. रावत ने कहा कि चीन की सशस्त्र सेनाओं ने, खासतौर से चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में सैनिकों को इकठ्ठा करने और अभियान चलाने की क्षमताओं में अहम प्रगति की है. दोनों पक्षों को 16 जून से पहले की जगहों पर गतिरोध शुरू होने से पहले पर लौट जाना चाहिए. लेकिन, अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है.
डोकलाम विवाद के बाद भारत-चीन के बीच तनाव गहरा हुआ है दूरियां बढ़ी हैं. आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत से लगी सीमा पर चीन यथास्थिति बदलने की कोशिशें कर रहा है जिसे हम कामयाब नहीं होने देंगें.जनरल रावत ने भविष्य में डोकलाम क्षेत्र में जारी गतिरोध जैसी घटनाएं बढ़ने की आशंका जताई है. विवाद और क्षेत्र को लेकर विवादित दावे जारी हैं। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के निर्धारण पर अलग-अलग धारणाओं की वजह से है.
भारत की सभी टुकड़ियां तैयार हैं
गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच मौजूद 3488 किमी लंबी विवादित सीमा पर भारत ने अपनी सेना की 15 टुकड़ियों को तैनात किया है, वहीं चीन की तरफ से 20 टुकड़ियों को सीमा पर तैनात किया गया है. बता दें कि प्रत्येक टुकड़ी में 10000 जवान होते हैं. इसके साथ ही भारत की ओर से टी-72 टैंक की कुछ रेजीमेंट्स, आर्टिलरी गन आदि सीमा पर तैनात की गई हैं.