वाशिंगटन.राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेशी जमीन पर देसी मुद्दों को उठाया. मोदी सरकार पर उनका प्रहार पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी हमला था.
देश में असहिष्णुता और बेरोजगारी की बात कर न सिर्फ उन्होंने विदेशी निवेशकों को आगाह करने की कोशिश की बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजनाओं पर भी सवाल उठा दिया.राहुल इन दिनों दो सप्ताह की अमेरिका यात्रा पर हैं.
उन्होंने यहां विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े थिंकटैंक सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस (सीएपी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की.राहुल ने अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के संपादकीय मंडल के साथ भी अनौपचारिक बैठक की, जिसमें उन्होंने भारत में बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता जाहिर की.
राहुल का असहिष्णुता और बेरोजगारी पर बयान उनके पिछले साल लोकसभा में दिए गए भाषण का ही ताजा रूप था. लोकसभा में भी उन्होंने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा था कि देश में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है लेकिन पीएम मौन हैं.
राहुल ने बंद कमरे में हुई एक बैठक में हिस्सा लिया, जिसका आयोजन रिपब्लिकन रणनीतिकार पुनीत अहलूवालिया और अमेरिकन फॉरेन पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने संयुक्त रूप से किया था।क्या देश में कोई तानाशाह सरकार काम कर रही है जिसने खास वर्गों का हुक्का-पानी और धरम-करम बंद करवा दिया है?
अहलूवालिया ने कहा, मैं कहूंगा कि, वह ऐसे व्यक्ति प्रतीत नहीं हुए जिन्हें मुद्दों की जानकारी ना हो। वह मुद्दों को समझते हैं. वह जमीनी स्तर की हकीकत समझने वाले नेता के तौर पर दिखे।
राहुल गांधी ने कहा गरीबी सिर्फ मानसिक स्थिति है. ऐसे में उनसे पूछा जा सकता है कि जब गरीबी मानसिक स्थिति हो सकती है तो फिर असहिष्णुता क्यों नहीं?असहिष्णुता की वजह से पैदा होने वाला डर क्यों नहीं मानसिक स्थिति हो सकता?
राहुल गांधी बोले थे कि कि मेरी दादी को मार दिया गया. मैंने बचपन से ही हिंसा की त्रासदी को झेला है. इससे किसी का भला नहीं होने वाला. उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लेते वक्त संसद तक को भरोसे में नहीं लिया.