मेरी दो ग़ज़लें 2015-09-062016-11-21simran kaur नदिया मुहब्बतों की उमड़ती है मेरी माँ नदिया मुहब्बतों की उमड़ती है मेरी माँ, लेकर मुझे जहान में आई है मेरी माँ। Advertisement [...]
श्री राम तुम वन में भले 2015-09-062017-02-23RituV श्री राम तुम वन में भले, घर तो खंडहर हो चुके मन भी मलिन हो गये अब वहाँ कैसे रहोगे हे राम तुम [...]