Chhota mera khet Bagulon ke pankh (छोटा मेरा खेत बगुलों के पंख उमाशंकर जोशी ) NCERT Solutions Class 12
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
कविता के साथ
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- छोटे चौकोने खेत की कागज़ का पना कहने में क्या अर्थ निहित है? [CBSE (Delhi), 2010]
अथवा
कागज़ के पन्ने की तुलना छोटे चौंकाने खेत से करने का आधार स्पष्ट कीजिए। [CBSE (Delhi), 2014]
उत्तर–छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में यही अर्थ निहित है कि कवि ने कवि कर्म को खेत में बीज रोपने की तरह माना है। इसके माध्यम से कवि बताना चाहता है कि कविता रचना सरल कार्य नहीं है। जिस प्रकार खेत में बीज बोने से लेकर फ़सल काटने तक काफ़ी मेहनत करनी पड़ती है, उसी प्रकार कविता रचने के लिए अनेक प्रकार के कर्म करने पड़ते हैं।
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- रचना के संदर्भ में ‘अंधड़’ और ‘बीज’ क्या है?
उत्तर–रचना के संदर्भ में ‘अंधड़’ का अर्थ है-भावना का आवेग और ‘बीज’ का अर्थ है-विचार व अभिव्यक्ति। भावना के आवेग से कवि के मन में विचार का उदय होता है तथा रचना प्रकट होती है। - ‘रस का अक्षय पात्र’ से कवि ने रचना कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?
उत्तर–अक्षय का अर्थ है-नष्ट न होने वाला। कविता का रस इसी तरह का होता है। रस का अक्षय पात्र कभी भी खाली नहीं होता। वह जितना बाँटा जाता है, उतना ही भरता जाता है। यह रस चिरकाल तक आनंद देता है। खेत का अनाज तो खत्म हो सकता है, लेकिन काव्य का रस कभी खत्म नहीं होता। कविता रूपी रस अनंतकाल तक बहता है। कविता रूपी अक्षय पात्र हमेशा भरा रहता है। - व्याख्या करें–
- शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। - रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।
उत्तर–
- कवि कहना चाहता है कि जब वह छोटे खेतरूपी कागज के पन्ने पर विचार और अभिव्यक्ति का बीज बोता है तो वह कल्पना के सहारे उगता है। उसमें शब्दरूपी अंकुर फूटते हैं। फिर उनमें विशेष भावरूपी पुष्प लगते हैं। इस प्रकार भावों व कल्पना से वह विचार विकसित होता है।
- कवि कहता है कि कवि-कर्म में रोपाई क्षण भर की होती है अर्थात भाव तो क्षण-विशेष में बोया जाता है। उस भाव से जो रचना सामने आती है, वह अनंतकाल तक लोगों को आनंद देती है। इस फसल की कटाई अनंतकाल तक चलती है। इसके रस को कितना भी लूटा जाए, वह कम नहीं होता। इस प्रकार कविता कालजयी होती है।
कविता के आस–पास
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- शब्दों के माध्यम से जब कवि दूश्यों, चित्रों, ध्वनि–योजना अथवा रूप–रस–गांध को हमारे ऐंद्रिक अनुभवों में साकार करदेता हैं तो बिब का निमणि होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिब की खोज करें।
उत्तर–कवि ने बिंबों की सुंदर योजना की है। अपने भावों को प्रस्तुत करने के लिए बिंबों का सहारा उमाशंकर जोशी ने लिया है। कुछ बिंब निम्नलिखित हैं
प्रकृति बिंब
- छोटा मेरा खेत चौकोना।
- कोई अंधड़ कहीं से आया।
- शब्द के अंकुर फैंटे।
- पल्लव पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
- झूमने लगे फल।
- नभ में पाँती बँधे बगुलों के पाँख।
- वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें।
- जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता हैं। इस कविता में से रूपक का चुनाव करें।
उत्तर–(i)भावोंरूपी आँधी।
(ii) विचाररूपी बीज।
(iii) पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
(iv) कजरारे बादलों की छाई नभ छाया।
(v) तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
अन्य हल प्रश्न
लघूत्तरात्मक प्रश्न
- ‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्यों कहा है?
उत्तर–कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसलिए कहा है क्योंकि अक्षय पात्र में रस कभी खत्म नहीं होता। उसके रस को जितना बाँटा जाता है, उतना ही वह भरता जाता है। खेत की फसल कट जाती है, परंतु वह हर वर्ष फिर उग आती है। कविता का रस भी चिरकाल तक आनंद देता है। यह सृजन-कर्म की शाश्वतता को दर्शाता है। - ‘छोटा मेरा खेत’ कविता का रूपक स्पष्ट कीजिए ? [CBSE (Delhi), 2009]
उत्तर–इस कविता में कवि ने कवि-कर्म को कृषि के कार्य के समान बताया है। जिस तरह कृषक खेत में बीज बोता है, फिर वह बीज अंकुरित, पल्लवित होकर पौधा बनता है तथा फिर वह परिपक्व होकर जनता का पेट भरता है। उसी तरह भावनात्मक आँधी के कारण किसी क्षण एक रचना, विचार तथा अभिव्यक्ति का बीज बोया जाता है। यह विचार कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है तथा रचना का रूप ग्रहण कर लेता है। इस रचना के रस का आस्वादन अनंतकाल तक लिया जा सकता है। साहित्य का रस कभी समाप्त नहीं होता। - कवि को खेत का रूपक अपनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
उत्तर–कवि का उद्देश्य कवि-कर्म को महत्ता देना है। वह कहता है कि काव्य-रचना बेहद कठिन कार्य है। बहुत चिंतन के बाद कोई विचार उत्पन्न होता है तथा कल्पना के सहारे उसे विकसित किया जाता है। इसी प्रकार खेती में बीज बोने से लेकर फसल की कटाई तक बहुत परिश्रम किया जाता है। इसलिए कवि को खेत का रूपक अपनाने की जरूरत पड़ी। - ‘छोटा मेरा खेत हैं कविता का उद्देश्य बताइए।
उत्तर–कवि ने रूपक के माध्यम से कवि-कर्म को कृषक के समान बताया है। किसान अपने खेत में बीज बोता है, वह बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है तथा पकने पर उससे फल मिलता है जिससे लोगों की भूख मिटती है। इसी तरह कवि ने कागज को अपना खेत माना है। इस खेत में भावों की आँधी से कोई बीज बोया जाता है। फिर वह कल्पना के सहारे विकसित होता है। शब्दों के अंकुर निकलते ही रचना स्वरूप ग्रहण करने लगती है तथा इससे अलौकिक रस उत्पन्न होता है। यह रस अनंतकाल तक पाठकों को अपने में डुबोए रखता है। कवि ने कवि-कर्म को कृषि-कर्म से महान बताया है क्योंकि कृषि-कर्म का उत्पाद निश्चित समय तक रस देता है, परंतु कवि-कर्म का उत्पाद अनंतकाल तक रस प्रदान करता है। - शब्दरूपी अंकुर फूटने से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर–कवि कहता है कि जिस प्रकार खेत में बीज पड़ने के कुछ दिनों बाद उसमें अंकुर फूटने लगते हैं, उसी प्रकार विचाररूपी दिस अंड्रफ्ट लातेहैं। यहाकविता कर्मक पाहताचणहै इसाके बाद हारवना अनास्वाप – ग्रहण करती है। - कविता लुटने पर भी क्यों नहीं मिटती या खत्म होती?
उत्तर–यहाँ’लुटने से’ आशय बाँटने से है। कविता का आस्वादन अनेक पाठक करते हैं। इसके बावजूद यह खत्म नहीं होती क्योंकि कविता जितने अधिक लोगों तक पहुँचती है उतना ही अधिक उस पर चिंतन किया जाता है। वह शाश्वत हो जाती है। - ‘अंधड़’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर–‘अंधड़’ भावनात्मक आवेग है। काव्य-रचना अचानक किसी प्रेरणा से होती है। कवि के मन में भावनाएँ होती हैं। जिस भी विचार का आवेग अधिक होता है, उसी विचार की रचना अपना स्वरूप ग्रहण करती है। - ‘बीज यल गया विब्लोप ‘ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर–इसका अर्थ यह है कि जब तक कवि के मन में कविता का मूल भाव पूर्णतया समा नहीं जाता, तब तक वह निजता (अह) से मुक्त नहीं हो सकता। कविता तभी सफल मानी जाती है, जब वह समग्र मानव-जाति की भावना को व्यक्त करती है। कविता को सार्वजनिक बनाने के लिए कवि का अहं नष्ट होना आवश्यक है। - ‘बगुलों के पंख ‘ कविता का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर–यह सुंदर दृश्य कविता है। कवि आकाश में उड़ते हुए बगुलों की पंक्ति को देखकर तरह-तरह की कल्पनाएँ करता है। ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की सफेद काया के समान लगते हैं। कवि को यह दृश्य अत्यंत सुंदर लगता है। वह इस दृश्य में अटककर रह जाता है। एक तरफ वह इस सौंदर्य से बचना चाहता है तथा दूसरी तरफ वह इसमें बँधकर रहना चाहता है। - ‘पाँती–बँधी’ से कवि का आवश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–इसका अर्थ है-एकता। जिस प्रकार ऊँचे आकाश में बगुले पंक्ति बाँधकर एक साथ चलते हैं। उसी प्रकार मनुष्यों को एकता के साथ रहना चाहिए। एक होकर चलने से मनुष्य अद्भुत विकास करेगा तथा उसे किसी का भय भी नहीं रहेगा।
स्वर्य करें
- कवि को खेत कागज के पन्ने के समान लगता है। आप इससे कितना सहमत हैं?
2.कवि ने साहित्य को किस संज्ञा से संबोधित किया है और क्यों?
3. कवि-कर्म और कृषि-कर्म दोनों में से किसका प्रभाव दीर्घकालिक होता है और कैसे?
4. कवि सायंकाल में किस माया से बचने की कामना करता है और क्यों?
5. ‘बगुलों के पंख’ कविता के आधार पर शाम के मनोहारी प्राकृतिक दृश्य का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
अथवा
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कवि उमाशंकर जोशी में प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण करने की अनूठी क्षमता है-उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(अ)
झूमने लगे फल
रस अलौकिक
अमृत धाराएँ फूटतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंत की
लुटते रहने से जरा भी कम नहीं होती।
(क) काव्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(ख)भाषा-शिल्प सबधित दो विशेषताएँ लिखिए।
(ग) अतिम पंक्ति का भाव–साँदर्य स्पष्ट कीजिए
(ब)
नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
(क) अतिंम पवित का भावन्सदिवं स्पष्ट काँजिए।
(ख) काव्याश की भाषागत विशंपताएँ लिखिए।
(ग) काव्यांश की अलकार-योजना पर प्रकाश डालिए।
हिंदी आरोह के सभी पाठों का हल – Chapter wise
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