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अपठित गद्यांश – प्रजातंत्र के मुख्य अंग

Apathit Gadyansh with Answers in Hindi unseen passage

प्रजातंत्र के तीन मुख्य अंग है कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका। प्रजातंत्र की सार्थकता एवं दृढ़ता को ध्यान में रखते हुए और जनता के प्रहरी होने की भूमिका को देखते हुए मीडिया (दृश्य, श्रव्य और मुद्रित) को प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में देखा जाता है। समाचार-माध्यम या मीडिया को पिछले वर्षों में पत्रकारों और समाचार-पत्रों ने एक विश्वसनीयता प्रदान की है और इसी कारण विश्व में मीडिया एक अलग शक्ति के रूप में उभरा है।
 
कार्यपालिका और विधायिका की समस्याओं, कार्य-प्रणाली और विसंगतियों की चर्चा प्रायः होती रहती है और सर्वसाधारण में वे विशेष चर्चा के विषय रहते ही हैं। इसमें समाचार पत्र, रेडियो और टी०वी० समाचार अपनी टिप्पणी के कारण चर्चा को आगे बढ़ाने में योगदान करते हैं, पर न्यायपालिका अत्यंत महत्वपूर्ण होने के बावजूद उसके बारे में चर्चा कम ही होती है। ऐसा केवल अपने देश में ही नहीं, अन्य देशों में भी कमोबेश यही स्थिति है।
 
स्वराज-प्राप्ति के बाद और एक लिखित संविधान के देश में लागू होने के उपरांत लोकतंत्र के तीनों अंगों के कर्तव्यों, अधिकारों और दायित्वों के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ी है। संविधान निर्माताओं का उद्देश्य रहा है कि तीनों अंग परस्पर ताल मेल से कार्य करेंगे। तीनों के पारस्परिक संबंध भी संविधान द्वारा निर्धारित , फिर भी समय के साथ साथ कुछ समस्याएँ उठ खड़ी होती हैं। आज लोकतंत्र यह महसूस करता है कि न्यायपालिका | भी अधिक पारदर्शिता हो, जिससे उसकी प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़े। जिस देश में पंचों को परमेश्वर मानने की परंपरा, वहाँ न्यायमूर्तियों पर आक्षेप दुर्भाग्यपूर्ण है।’
 
उपर्युक्त अपठित गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
 
(क) लोकतंत्र के तीनों अंगों का नामोल्लेख कीजिए। चौथा अंग किसे माना जाता है?
(ख) लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
(ग) अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होने के बावजूद न्यायपालिका के बारे में मीडिया में कम चर्चा क्यों होती है?
(घ) जनता में अधिकारों और दायित्वों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में किसका योगदान है? कैसे?
(ड) पारदर्शिता’ से क्या तात्पर्य है? लोकतंत्र न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता क्यों चाहता है?
(च) आशय स्पष्ट कीजिए जिस देश में पंचों को परमेश्वर मानने की परंपरा हो, वहाँ न्यायमूर्तियों पर आक्षेप दुर्भाग्यपूर्ण है।’
(छ) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
 
  1. विशेषण बनाइए-विश्व, प्रतिष्ठा
  2. वाक्य में प्रयोग कीजिए-मर्यादा, विसंगति
(ज) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
 
उत्तर-

(क) लोकतंत्र के तीन मुख्य अंग हैं कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। दैनिक जीवन में मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण आजकल मीडिया को भी चौथे अंग के रूप में मान्यता प्राप्त हो गयी है। मीडिया के तीन अंग हैं – दृश्य, श्रव्य व मुद्रित मीडिया ।

(ख) लोकतंत्र में मीडिया की महती भूमिका है। अपनी सक्रियता से मीडिया कार्यपालिका व विधायिका की समस्याओं, कार्य प्रणाली तथा कमियों की चर्चा कर उन्हें जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य करती है किन्तु दूसरी और मीडिया का प्रयास रहता है कि वह न्यायपालिका पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से बचे।

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(ग) प्रजातंत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होते हुए भी न्यायपालिका की चर्चा मीडिया में कम होती है क्योंकि उसमें पारदर्शिता कम होती है।

(घ) जनता में अधिकारों और दायित्वों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। विधायिका द्वारा जनहित में जारी की गयी नवीन योजनाओं के प्रति जनता को जागरूक मीडिया ही करता है। मीडिया आजकल जनता को भी उसके अधिकारों के साथ दायित्वों की भी जानकारी देता है।

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(ड) पारदर्शिता’ का अर्थ है – स्पष्ट रूप से आर-पार दिखाई देना , किसी भी प्रकार के संदेह की आशंका न होना । जनता न्यायपालिका को अपने संरक्षा के रूप में देखती है ऐसे में न्यायपालिका का आक्षेपों के घेरे में आना दुर्भाग्य पूर्ण है। यही कारण है कि अब लोकतंत्र न्यायपालिका में पारदर्शिता चाहता है।

(च) प्राचीन भारत के ग्रामीण समाज में पंचायत प्रथा थी जिसमें पंच अर्थात न्यायकर्त्ता को ईश्वर के बराबर माना जाता था क्योंकि वे पक्षपातपूर्ण निर्णय नहीं देते थे। आजकल न्यायाधीशों के निर्णयों व कार्य प्रणालियों पर आरोप लगाए जाने लगे हैं। ऐसा होना एक अत्यंत गलत परंपरा को जन्म दे रहा है।

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(छ) विशेषण-वैश्विक, प्रतिष्ठित

  1. सामाजिक जीवन में मनुष्य का अपनी मर्यादा को न लांघना अत्यंत आवश्यक है।
    वैज्ञानिक प्रयोगों में भिन्न भिन्न परिणामों में विसंगति आना प्रयोग विधि में अशुद्धता दिखता है।
  2. ज) शीर्षक – प्रजातंत्र के अंग

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