Apathit Gadyansh with Answers in Hindi unseen passage
हमारे विशाल देश में हिमालय की अनंत हम राशि ने जिन नदियों को जन्म दिया है उनमें, उत्तरा पथ को सींचने वाली गंगा और यमुना नाम की नदियां जीवन की धमनियों की तरह है हमारे ऐतिहासिक चैतन्य की साक्षी रही है. उनकी गोद में हमारे पूर्वजों ने सभ्यता के आंगन में अनेक नए खेल खेले. उनके तटों पर जीवन का जो प्रवाह हुआ वह, जीवंत है. भारत भूमि हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं – यह सच्चाई हमारे रोम रोम में बंधी हुई है. नदियों की अंतर्वेदी में पनपने वाले आदि युग के जीवन पर हम अब जितना अधिक विचार करते हैं, हमको अपने विकास और वृद्धि की सनातन जड़ों का पृथ्वी के साथ संबंध उतना ही अधिक घनिष्ठ जान पड़ता है. जब तक भारतीय जाति का जीवन भारत भूमि के साथ बना हुआ है, जब तक हमारे सांस्कृतिक पर्व पर लाखों मनुष्य नदियों और जलाशयों के तत्व पर एकत्र होते रहेंगे, जब तक संकटों में बलिदान की भावना प्रत्येक मन में जागती रहेगी, जब तक एक देश के नागरिक के रूप में हमारी पहचान जीवित है, तब तक हमारे आंतरिक गठन और हमारे अस्तित्व को सकुशल समझना चाहिए.
उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- अपठित गद्यांश का शीर्षक दीजिए.
- गंगा और यमुना नदियां किस की साक्षी रही है?
- कौन सी सच्चाई हमारे रोम रोम में बंधी हुई है?
- नदियों की अंतर्वेदी से क्या आशय है?
- हमारे देश में बहने वाली नदियों के आदि स्रोत क्या है?
- भारतीय जनजीवन पर नदियों का क्या प्रभाव है?
उत्तर –
- अपठित गद्यांश का शीर्षक – हमारी पवित्र नदियां
- गंगा और यमुना नदियां भारत के इतिहासिक चैतन्य की साक्षी रही है.
- भारत हमारी मां है और हम उसके पुत्र हैं – यह सच्चाई हमारे रोम रोम में बनी हुई है.
- दो नदियों के मध्य की भूमि अंतर्वेदी कहलाती है.
- हिमालय की अनंत हिम राशि.
- नदियों ने भारतीय जनजीवन को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बांधकर रखा है. भारतीय प्रभु पर लोग नदियों के किनारे एकत्र होते हैं और राष्ट्रीय एकता का बोध अनुभव कराते हैं.