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Samvad Lekhan अध्यापक और शिष्य के बीच संवाद- संवाद लेखन

Adhyapak aur shishyy ke beech samvad – Samvad Lekhan

अध्यापक : तरुण मैं तुम्हारी पढाई से बहुत खुश हूँ । जिस लगन से तुम पढ़ाई करते हो वह वाकई प्रशंसनीय है ।

तरुण : जी धन्यवाद मास्टर जी ।

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अध्यापक : आगे भी ऐसे ही मन लगा कर पढ़ते रहना ।

तरुण : जी, बिलकुल मास्टर जी ।

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अध्यापक : वैसे मैं तुम्हे एक बात बताना चाहता हूँ जो तुम्हारे जीवन में तुम्हे आगे बढ़ाने में बहुत सहायक होगी । मैंने कई बार देखा है कि तुम कक्षा में किसी भी बच्चे से बात नहीं करते । क्या कोई विशेष कारण है इसका ?

तरुण : जी नहीं, मास्टर जी ।

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अध्यापक : देखो पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करना अच्छी बात है । लेकिन, अच्छे मित्र बनाना, उनसे बातें करना भी व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है । क्या कारण है कि कक्षा में तुम्हारा कोई मित्र नहीं है ।

तरुण : जी मास्टर जी, मेरे माता-पिता बहुत मेहनत करके मुझे पढ़ा रहे हैं और मेरे पास अन्य बच्चों की तरह संसाधन नहीं हैं और इसी बात को लेकर मेरे अंदर झिझक है ।

अध्यापक : ठीक है मैं समझ गया । लेकिन यदि तुम ऐसे ही रहे तो आगे चलकर किसी से बात करने में तुम्हे परेशानी होगी और हो सकता है किसी समूह चर्चा में तुम सही तरह से भागीदारी ना कर सको और इसमें झिझक की क्या बात है ? तुम कोशिश तो करके देखो । यदि कोई तुम्हारा सच्चा मित्र होगा तो वह तुमसे मित्रता उसे किसी अन्य चीज से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा ।

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तरुण : जी मास्टर जी मैं कोशिश करूँगा ।

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