फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

तुम अपनी करनी कर गुज़रो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

अब कयूं उस दिन का ज़िकर करो जब दिल टुकड़े हो जायेगा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

और सारे ग़म मिट जायेंगे जो कुछ पाया खो जायेगा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो मिल न सका वो पायेंगे ये दिन तो वही पहला दिन है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो पहला दिन था चाहत का हम जिसकी तमन्ना करते रहे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

और जिससे हरदम ड्रते रहे ये दिन तो कितनी बार आया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

सौ बार बसे और उजड़ गये सौ बार लुटे और भर पाया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

अब कयूं उस दिन की फ़िकर करो जब दिल टुकड़े हो जायेगा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

और सारे ग़म मिट जायेंगे तुम ख़ौफ़ो-ख़तर से दरगुज़रो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो होना है सो होना है गर हंसना है तो हंसना है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

गर रोना है तो रोना है तुम अपनी करनी कर गुज़रो जो होगा देखा जायेगा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कुछ इश्क किया कुछ काम किया

एक और शायरी  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

वो लोग बहुत ख़ुश-किस्मत थे जो इश्क को काम समझते थे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

या काम से आशिकी करते थे हम जीते-जी मसरूफ़ रहे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कुछ इश्क किया कुछ काम किया काम इश्क के आड़े आता रहा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

और इश्क से काम उलझता रहा फिर आख़िर तंग आकर हमने दोनों को अधूरा छोड़ दिया