इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो 'इंशा' साहब नाहक़ जी को वहशत में उलझाते हो

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

दिल की बात छुपानी मुश्किल लेकिन ख़ूब छुपाते हो बन में दाना शहर के अंदर दीवाने कहलाते हो

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

बेकल बेकल रहते हो पर महफ़िल के आदाब के साथ आँख चुरा कर देख भी लेते भोले भी बन जाते हो

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

पीत में ऐसे लाख जतन हैं लेकिन इक दिन सब नाकाम आप जहाँ में रुस्वा होगे वाज़ हमें फ़रमाते हो

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

हम से नाम जुनूँ का क़ाइम हम से दश्त की आबादी हम से दर्द का शिकवा करते हम को ज़ख़्म दिखाते हो

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

एक और शायरी

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके तेरा दामन दूर नहीं था हाथ हमीं फैला न सके

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

तू ऐ दोस्त कहाँ ले आया चेहरा ये ख़ुर्शीद-मिसाल सीने में आबाद करेंगे आँखों में तो समा न सके

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

ना तुझ से कुछ हम को निस्बत ना तुझ को कुछ हम से काम हम को ये मालूम था लेकिन दिल को ये समझा न सके

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

अब तुझ से किस मुँह से कह दें सात समुंदर पार न जा बीच की इक दीवार भी हम तो फाँद न पाए ढा न सके

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

मन पापी की उजड़ी खेती सूखी की सूखी ही रही उमडे बादल गरजे बादल बूँदें दो बरसा न सके