अहमद फ़राज़ शायरी

न हरीफ़े जाँ न शरीक़े-ग़म शबे-इंतज़ार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

न हरीफ़े-जाँ न शरीक़े-ग़म शबे-इन्तज़ार कोई तो हो किसे बज़्मे-शौक़ में लाएँ हम दिले-बेक़रार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

किसे ज़िन्दगी है अज़ीज़ अब किसे आरज़ू-ए-शबे-तरब मगर ऐ निगारे-वफ़ा- तलब तिरा एतिबार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

कहीं तारे-दामने-गुल मिले तो य मान लें कि चमन खिले कि निशान फ़स्ले-बहार का सरे-शाख़सार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

ये उदास-उदास-से बामो-दर, ये उजाड़-उजाड़-सी रहगुज़र चलो हम नहीं न सही मगर सरे-कू-ए-यार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

ये सुकूने-जाँ की घड़ी ढले तो चराग़े-दिल ही न बुझ चले वो बला से हो ग़मे-इश्क़ या ग़मे-रोज़गार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

सरे-मक़्तले-शबे-आरज़ू रहे कुछ तो इश्क़ की आबरू जो नहीं अदू तो 'फ़राज़' तू कि नसीबे-दार कोई तो हो

अहमद फ़राज़ शायरी

बहुत हसीन हैं तेरी अक़ीदतों के गुलाब

एक और शायरी  

अहमद फ़राज़ शायरी

बहुत हसीन हैं तेरी अक़ीदतों के गुलाब हसीनतर है मगर हर गुले-ख़याल तिरा

अहमद फ़राज़ शायरी

हर एक दर्द के रिश्ते में मुंसलिक दोनों तुझे अज़ीज़ मिरा फ़न , मुझे जमाल तिरा

अहमद फ़राज़ शायरी

मगर तुझे नहीं मालूम क़ुर्बतों के अलम तिरी निगाह मुझे फ़ासलों से चाहती है

अहमद फ़राज़ शायरी

तुझे ख़बर नहीं शायद कि ख़िल्वतों में मिरी लहू उगलती हुई ज़िन्दगी कराहती है

अहमद फ़राज़ शायरी

तुझे ख़बर नहीं शायद कि हम वहाँ हैं जहाँ ये फ़न नहीं है अज़ीयत है ज़िंदगी भर की

अहमद फ़राज़ शायरी

यहाँ गुलू-ए-जुनूँ पर कमंद पड़ती है यहाँ क़लम की ज़बाँ पर है नोंक ख़ंज़र की

अहमद फ़राज़ शायरी

हम उस क़बील-ए-वहशी के देवता हैं कि जो पुजारियों की अक़ीदत से फूल जाते हैं

अहमद फ़राज़ शायरी

और एक रात के मा’बूद सुब्ह होते ही वफ़ा-परस्त सलीबों पे झूल जाते हैं