कई बार लोग लोकोक्तियों (कहावतों) और मुहावरों को एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरे अपना शाब्दिक अर्थ छोड़कर नया अर्थ देते हैं। जैसे “तोते उड़ जाना’ में तोते उड़ना नहीं वरन घबरा जाना का भाव दिखाई देता है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्तियाँ विशेष अर्थ देती हैं, परन्तु शाब्दिक अर्थ भी रहता है। “नाच ना आवे आँगन टेढ़ा” में किसी व्यक्ति द्वारा साधनों को दोष देने का भाव दिखाई देता है

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरों के अंत में क्रियापद होता है। जैसे “हाथ मलना” यहाँ मलना क्रिया पद का प्रयोग हुआ है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्ति के अंत में क्रियापद का होना अनिवार्य नहीं। जैसे “अंधेर नगरी चौपट राजा”

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरा सामान्यतः एक वाक्यांश होता है जिसके रूप में लिंग, वचन व क्रियापद कारक के अनुसार परिवर्तन आता है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्तियाँ अपने-आप में एक पूर्ण वाक्य होती हैं। प्रयोग के बाद भी इनमें व्याकरण के नियमों यथा लिंग, वचन, क्रिया आदि के अनुसार कोई अंतर नहीं आता।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरों के अर्थ का पूर्ण स्पष्टीकरण नहीं हो पाता जब तक कि इनका वाक्य में प्रयोग न किया जाए।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्ति का अर्थ वाक्य में प्रयोग पर निर्भर नहीं करता।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरों में लक्षणा शक्ति होती है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्तियों में व्यंजना शक्ति होती है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरों में व्यंग्य या अतिशयोक्ति नहीं होती होती।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्तियाँ अक्सर व्यंग्य और अतिशयोक्ति पूर्ण होती हैं।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्तियों के पीछे कोई न कोई लोक-कथा या किंवदंती होती है जिसके आधार पर लोकोक्ति जन-मानस में मशहूर हो जाती है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरे का प्रयोग बात को घुमा-फिरा कर कहने के लिए किया जाता है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

लोकोक्ति किसी बात का समर्थन, विरोध अथवा खंडन करने के लिए प्रयोग में ली जाती है।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी कहावत और मुहावरे में अंतर के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं।