अहमद फ़राज़ शायरी
क्यों तबियत कहीं ठहरती नहीं
अहमद फ़राज़ शायरी
क्यूँ तबीअत कहीं ठहरती नहीं
दोस्ती तो उदास करती नहीं
अहमद फ़राज़ शायरी
हम हमेशा के सैर-चश्म सही
तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं
अहमद फ़राज़ शायरी
शब-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह
कट तो जाती है पर गुज़रती नहीं
अहमद फ़राज़ शायरी
ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन!
इतनी आसानियों से मरती नहीं
अहमद फ़राज़ शायरी
जिस तरह तुम गुजारते हो अहमद फ़राज़
जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं
अहमद फ़राज़ शायरी
ये तबियत है तो ख़ुद आज़ार बन जायेंगे हम
एक और शायरी
अहमद फ़राज़ शायरी
ये तबियत है तो ख़ुद आज़ार बन जायेंगे हम
चारागर रोयेंगे और ग़मख़्वार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
हम सर-ए-चाक-ए-वफ़ा हैं और तेरा दस्त-ए-हुनर
जो बना देगा हमें ऐ यार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
क्या ख़बर थी ऐ निगार-ए-शेर तेरे इश्क़ में
दिलबरान-ए-शहर के दिलदार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
सख़्त जान हैं पर हमारी उस्तवारी पर न जा
ऐसे टूटेंगे तेरा इक़रार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
और कुछ दिन बैठने दो कू-ए-जानाँ में हमें
रफ़्ता रफ़्ता साया-ए-दीवार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
इस क़दर आसाँ न होगी हर किसी से दोस्ती
आश्नाई में तेरा मयार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
मीर-ओ-ग़ालिब क्या के बन पाये नहीं फ़ैज़-ओ-फ़िराक़
ज़म ये था रूमी-ओ-अतार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
देखने में शाख़-ए-गुल लगते हैं लेकिन देखना
दस्त-ए-गुलचीं के लिये तलवार बन जायेंगे हम
अहमद फ़राज़ शायरी
हम चिराग़ों को तो तारीकी से लड़ना है "अहमद फ़राज़"
गुल हुए पर सुबह के आसार बन जायेंगे हम