अहमद फ़राज़ शायरी

जब तेरी याद के जुगनू चमके

अहमद फ़राज़ शायरी

जब तेरी याद के जुगनू चमके देर तक आँख में आँसू चमके

अहमद फ़राज़ शायरी

सख़्त तारीक है दिल की दुनिया ऐसे आलम में अगर तू चमके

अहमद फ़राज़ शायरी

हमने देखा सरे-बाज़ारे-वफ़ा कभी मोती कभी आँसू चमके

अहमद फ़राज़ शायरी

शर्त है शिद्दते-अहसासे-जमाल रंग तो रंग है ख़ुशबू चमके

अहमद फ़राज़ शायरी

आँख मजबूर-ए-तमाशा है ‘फ़राज़’ एक सूरत है कि हरसू चमके

अहमद फ़राज़ शायरी

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

एक और शायरी  

अहमद फ़राज़ शायरी

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

अहमद फ़राज़ शायरी

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती ये ख़ज़ाने तुझे मुम्किन है ख़राबों में मिलें

अहमद फ़राज़ शायरी

तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा दोनों इंसाँ हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें

अहमद फ़राज़ शायरी

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

अहमद फ़राज़ शायरी

आज हम दार पे खेंचे गये जिन बातों पर क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

अहमद फ़राज़ शायरी

अब न वो मैं हूँ न तू है न वो माज़ी है "फ़राज़" जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें