फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हम तो मज़बूर थे इस दिल से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हम तो मज़बूर थे इस दिल से कि जिसमें हर दम गरदिशे-ख़ूं से वो कोहराम बपा रहता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जैसे रिन्दाने-बलानोश जो मिल बैठें ब-हम मयकदे में सफ़र-ए-जाम बपा रहता है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

सोज़े-ख़ातिर को मिला जब भी सहारा कोई दाग़े-हरमान कोई दर्द-ए-तमन्ना कोई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

मरहमे-यास से मायल-ब-शिफ़ा होने लगा ज़ख़्मे-उमीद कोई फिर से हरा होने लगा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हम तो मज़बूर थे इस दिल से कि जिसकी ज़िद पर हमने उस रात के माथे पे सहर की तहरीर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जिसके दामन में अंधेरे के सिवा कुछ भी न था हमने उस दश्त को ठहरा दिया फ़िरदौस नज़ीर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जिसमें जुज़ सनअते-ख़ूने-सरे-पा कुछ भी न था दिल को ताबीर कोई और गवारा ही न थी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कुलफ़ते-ज़ीसत तो मंज़ूर थी हर तौर मगर राहते-मरग किसी तौर गवारा ही न थी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

बहार आई तो जैसे एक बार

एक और शायरी  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

बहार आई तो जैसे एक बार लौट आये हैं फिर अदम से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

वो ख़्वाब सारे, शबाब सारे जो तेरे होंठों पे मर मिटे थे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो मिट के हर बार फिर जिये थे निखर गये हैं गुलाब सारे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो तेरी यादों से मुशकबू हैं जो तेरे उशाक का लहू हैं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

उबल पड़े हैं अज़ाब सारे मलाले-अहवाले-दोस्तां भी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

ख़ुमारे-आग़ोशे-महवशां भी ग़ुबारे-ख़ातिर के बाब सारे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

तेरे हमारे सवाल सारे, जवाब सारे बहार आई तो खुल गए हैं नये सिरे से हिसाब सारे