फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

ग़म-ब-दिल, शुक्र-ब-लब, मस्तो-ग़ज़लख़्वाँ चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

ग़म-ब-दिल, शुक्र-ब-लब, मस्तो-ग़ज़लख़्वाँ चलिए जब तलक साथ तेरे उम्रे-गुरेज़ां चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

रहमते-हक से जो इस सम्त कभी राह निकले सू-ए-जन्नत भी बराहे-रहे-जानां चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

नज़र मांगे जो गुलसितां से ख़ुदावन्दे-जहां सागरो-ख़ुम में लिये ख़ूने-बहारां चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जब सताने लगे बेरंगी-ए-दीवारे-जहां नक़्श करने कोई तस्वीरे-हसीनां चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कुछ भी हो आईना-ए-दिल को मुसफ़्फ़ा रखीए जो भी ग़ुजरे, मिसले-खुसरवे-ए-दौरां चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

इमतहां जब भी हो मंज़ूर जिगरदारों का महफ़िले-यार में हमराहे-रकीबां चलिए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हैरां है जबीं आज किधर सजदा रवां है

एक और शायरी  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हैरां है जबीं आज किधर सजदा रवां है सर पर हैं खुदावन्द, सरे-अर्श ख़ुदा है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कब तक इसे सींचोगे तमन्नाए-समर में यह सबर का पौधा तो न फूला न फला है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

मिलता है ख़िराज इसको तिरी नाने-जवीं से हर बादशाहे-वक़्त तिरे दर का गदा है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हर-एक उकूबत से है तलख़ी में सवातर वो रंज, जो-नाकरदा गुनाहों की सज़ा है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

एहसान लिये कितने मसीहा-नफ़सों के क्या कीजीये दिल का न जला है, न बुझा है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कोई मसीहा न ईफ़ा-ए-अहद को पहुंचा बहुत तलाश पसे-कत्ले-आम होती रही